शिमला। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर की अध्यक्षता में यहां हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति को स्वीकृति प्रदान की गई, जिसमें वर्ष के दौरान 2131 करोड़ रुपये राजस्व संग्रह की परिकल्पना की गई है। वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में 264 करोड़ अधिक है। इसका मतलब है कि राज्य के उत्पाद शुल्क में कुल मिलाकर 14% की वृद्धि हुई है।
वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रदेश में खुदरा आबकारी ठेकों के नवीनीकरण हेतु इकाई/विक्रेता के मूल्य के 4 प्रतिशत नवीनीकरण शुल्क पर भी स्वीकृति प्रदान की गयी। इसका उद्देश्य सरकारी राजस्व में पर्याप्त वृद्धि हासिल करना और पड़ोसी राज्यों से देशी शराब की तस्करी पर अंकुश लगाना है।
देशी शराब के ब्रांड सस्ते होंगे क्योंकि लाइसेंस शुल्क कम कर दिया गया है। इससे उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर अच्छी गुणवत्ता वाली शराब उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी और वे अवैध शराब की खरीद के प्रति आकर्षित नहीं होंगे और शुल्क की चोरी पर भी लगाम लगेगी।
नई आबकारी नीति में खुदरा लाइसेंसधारियों को आपूर्ति की जाने वाली देशी शराब के विनिर्माताओं और बोतलबंदों के लिए 15% निर्धारित कोटा समाप्त कर दिया गया है। यह कदम खुदरा लाइसेंसधारियों को अपनी पसंद के आपूर्तिकर्ताओं से अपना कोटा उठाने और प्रतिस्पर्धी कीमतों पर अच्छी गुणवत्ता वाली देशी शराब की आपूर्ति का आश्वासन देगा। देशी शराब की एमआरपी मौजूदा कीमत से 16% सस्ती होगी।
इस वर्ष की नीति में, “गौ वंश” के कल्याण के लिए और अधिक धनराशि प्रदान करने के लिए, गौधन विकास निधि कोष को मौजूदा 1.50 रुपये से बढ़ाकर 2.50 रुपये कर दिया गया है।
लाइसेंस शुल्क के क्षेत्र विशिष्ट स्लैब को समाप्त करके बार के निश्चित वार्षिक लाइसेंस शुल्क को युक्तिसंगत बनाया गया है। अब पूरे राज्य में होटलों में कमरे की क्षमता के आधार पर एक समान लाइसेंस स्लैब होंगे।
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