ग्रहण काल के ग्रह दे रहे संकेत सफलता को बपौती मानने वाले हारेंगे ज्योतिष की दृष्टि से शुभ नहीं 15 दिन में दो ग्रहण

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शिमला।।दो ग्रहणों को 15 दिनों के भीतर लगना और ग्रहण के समय ग्रहचाल कुछ संकेत दे रहे हैं। जिन भी पूर्व राजनेताओं ने कर्तव्य की उपेक्षा करके लोगों की अंकाक्षाओं के प्रति उदासीनता दिखाई है। वे निश्चित रूप से पराजित होते दिख रहे हैं। वहीं ईमानदारी और न्याय की भावना से काम करने वाले जीतंेगे। भले ही वह अपने निश्चित लक्ष्यों के अनुरूप काम न कर पाये हों। सफलता को बपौती मानने वाले हारेंगे ऐसा ग्रहण काल के ग्रह भी इशारा कर रहे हैं। इस बार ग्रहण के समय जो ग्रहचाल चल रही है उसके अनुसार सूर्य राजनीति का मुख्य ग्रह नीच राशि होकर एकादश में बैठा है। नीच भंग भी हो रहा है लेकिन शनि की दृष्टि भी पर्याप्त रूप से प्रभावित कर रही है। कुछ ज्योतिषी ग्रहों की ऐसी चाल महाभारत काल में होने की पुष्टि भी कर रहे हैं।

शुभ नहीं लगातार दो ग्रहण लेकिन कुंभ राशि के लिए बेहतर

इस बार दीपावली के कुछ ही दिनों बाद चंद्रग्रहण की खगोलीय घटना की हो रही है। यह ग्रहण मेष राशि एवं भरणी नक्षत्र में लग रहा है। भारत के उतरपूर्वी राज्यों में यह ग्रहण अधिक दिखाई देगा। दिल्ली में यह ग्रहण 5 बजकर 28 मिनट से जबकि शिमला में 5 बजकर 20 मिनट पर दिखाई देगा। ज्यौतिषाचार्य 15 दिन के भीतर दो ग्रहणों की स्थिति को शुभ नहीं मानते। ज्योतिषी पूर्णप्रकाश शर्मा के अनुसार इस साल का ग्रहण कुछ राशियों के लिए खराब तो कुछ के लिए बेहतर रहने वाला है। कुंभ राशि वालों के लिए यह ग्रहण धनलाभ देने वाला हैं। कुंभ राशि वाले हर जातक को कुछ न कुछ लाभ दिख रहा हैं।

साल के अंतिम चंद्रग्रहण का सूतक प्रातः सूर्याेदय के समय से ही प्रारम्भ हो गया था। साल 2022 में पड़ने वाले इस चंद्रग्रहण का समय 02ः39 से शुरू होकर सांय 6ः 20 तक रहने वाला है।

ऐसे होता है ग्रहण

चंद्रमा पृथ्वी के चक्कर काटता है और एक चक्कर काटने में 27 दिन लगते हैं। जब पृथ्वी और सूर्य के मध्य में चंद्रमा आ जाता है तो इस घटना को चंद्र ग्रहण कहते है। अमावस्या तिथि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है इस कारण से अमावस्या तिथि पर ही हमेशा सूर्य ग्रहण होता है।

ये रहते हैं सामान्य प्रभाव

कार्तिक मास में मंगलवार को चन्द्रग्रहण होने से कहीं पर लूटपाट, चोरी व अग्निकाण्ड की घटनाएं बढ़ सकती हैं। शीतकालीन फसलों में रोग प्रकोप होगा जिससे किसानों की चिंताओं में वृद्धि की संभावना बनती है । राजनोताओं में भी खींचतान बढ़ सकती है कहीं कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन भी देखने को मिलता है। ग्रहण के समय चन्द्र-राहु का सूर्य-बुध-शुक्र-केतु से सम-सप्तक योग बनने से प्राकृतिक प्रकोप से जन-धन की हानि तथा धातु व रस पदार्थों में तेजी हो सकती है।

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