October 4, 2024

कर्मचारी चुनते है महासंघ का अध्यक्ष  मुख्यमंत्री नही: विनोद कुमार

शिमला :पत्रकारों को संबोधित करते हुए विनोद कुमार ने कहा कि जिस ज़िला से मुख्यमंत्री बनते हैं. उसी ज़िला से महासंघ के अध्यक्ष बनते हैं. उन्होंने कहा कि महासंघ के अध्यक्ष के लिए व्यक्ति ग्राउंड स्तर तक जाकर कर्मचारियों से मुलाकात करते थे. उसके बाद पारम्परिक रूप से चुनाव होते थे जिसके बाद ही सरकार अध्यक्ष नियुक्त करती थी.
विनोद कुमार ने कहा कि जयराम सरकार ने जो वादे कर्मचारियों से किए वो पूरे नहीं हुए. जब भी नेता सत्ता में बैठते हैं तो ये विरोध की भूमिका शुरू कर देते हैं. उन्होंने कहा कि किसी क्षेत्र विशेष को लेकर जयराम ठाकुर ऐसे व्यक्ति के हाथ में कमान सौंपते हैं जो सक्षम नहीं है. विनोद कुमार ने इसे मुंडू संस्कृति का नाम दिया. उन्होंने कहा कि हमने कर्मचारियों के हितों की आवाज उठाई है.
वर्तमान सरकार ने हमारा कैरियर खराब करने का काम किया है. पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल जैसे ही सत्ता में बैठते थे. पहले दिन ही कर्मचारियों के कांग्रेस द्वारा उत्पीड़न के मामलों को हल करते थे. लेकिन वर्तमान सरकार ने ऐसा नही किया और कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ किया है. विनोद कुमार ने कहा कि 1979 में जब मुख्यमंत्री शांता कुमार थे तब यह तय किया गया था. उसके अनुसार प्रदेश सरकार के पर्सनल डिपार्टमेंट के ऑफिस मैनुअल में लिखा है कि हर 6 महीने में कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष के साथ मुख्यमंत्री बैठक करेंगे. लेकिन प्रदेश सरकार ने किसी भी कर्मचारी गुट के साथ बातचीत नहीं की. विनोद कुमार ने कहा कि प्रदेश सरकार के इस फैसले के बाद कर्मचारी स्तब्ध हैं. सरकार को समझना चाहिए कि महासंघ के अध्यक्ष मुख्यमंत्री नहीं कर्मचारी बनाते हैं.
उन्हीने मांग रखी है कि प्रदेश सरकार जल्द से छठे वेतन आयोग को लागू करे. भारत सरकार ने सातवां वेतन आयोग लागू करने से पहले बजट में प्रावधान किया था. लेकिन प्रदेश सरकार ने अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया है. विनोद कुमार ने कहा कि अगर प्रदेश सरकार पंजाब सरकार के पे-स्केल लागू नहीं कर सकती तो सेंट्रल पे-कमिशन की रिपोर्ट लागू करें. डीए की क़िस्त 11 प्रतिशत देय हो गई है लेकिन प्रदेश सरकार इसपर कोई फैसला नहीं कर रही है.

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