शिमला ।प्राइवेट बस ड्राइवर कंडक्टर यूनियन कि आज 1 दिन की सांकेतिक हड़ताल है। शिमला में 104 प्राइवेट बसों के पहिए थमे हुए हैं, इससे यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शहर के अलग-अलग स्टॉपेज पर यात्री बेबस नजर आ रहे हैं, उन्हें बसें नहीं मिल रही है। जबकि सरकारी बसें कम होने के चलते कुछ ही रूटों पर चल रही है। शहर में जहां 80 सरकारी बसें चलती है वहीं प्राइवेट बसों की संख्या 104 है। शहर में प्राइवेट बसें मुद्रिका के आधार पर चलती है, जिससे लोगों को हर 5 मिनट बाद बस मिलती है। जबकि सरकारी बसें तय टाइम के हिसाब से ही चलती है। ऐसे में आज यात्रियों को बसें न मिलने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है
यह है यूनियन की मांग
शिमला प्राइवेट बस ड्राइवर कंडक्टर यूनियन की मांग है की सरकारी नौकरी में 50 फीसदी कोटा दिया जाए। यूनियन के प्रधान रूप लाल ठाकुर का कहना है कि उनके लिए किसी तरह की भी स्थाई पॉलिसी सरकार की ओर से नहीं बनाई गई है। अभी यह नियम है कि जो भी उम्मीदवार ड्राइवर और कंडक्टर का लाइसेंस बनाते हैं , वह एचआरटीसी की भर्ती में भाग ले सकते हैं , जबकि जो इतने वर्षों से प्राइवेट बसों में सेवाएं दे रहे हैं , उन्हें कोई भी कोटा नहीं दिया जा रहा है। विभाग द्वारा I Card जारी किए जाएं, मेडिकल ESI की सुविधा दी जाए। बस स्टैंड में रेस्ट रूम की सुविधा दी जाए।
सरकार कर रही है भेदभाव
शिमला प्राइवेट ड्राइवर कंडक्टर बस यूनियन के प्रधान रूप लाल ठाकुर का कहना है कि जब से सरकारी बसों में महिलाओं को 50 फीसदी किराया देने की अधिसूचना जारी हुई है , तब से प्राइवेट बस संचालकों को नुकसान हो रहा है। ऐसे में अब ड्राइवर और कंडक्टर की नौकरी पर खतरा आ गया है। महंगाई के इस दौर में कई बस ऑपरेटर अपनी बसों को नहीं चलाने की योजना बना रहे हैं । कई वर्षों से ड्राइवर और कंडक्टर प्राइवेट बसों में सेवाएं दे रहे हैं , सरकार की ओर से उनके लिए कोई पॉलिसी नहीं बनाई गई हैं ।
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