जलियावाला बाग दर्द की जिंदा तस्वीर है ,उसे सेल्फी प्वाइंट बनाना पीड़ादायक: दीप्ति नवल

शिमला राजधानी शिमला में चल रहे अंतर्राट्रीय साहित्य उत्सव के दूसरे दिन।गुलजार के साथ विशाल भारद्वाज की बातचीत भी आकर्षण का हिस्सा रही।वहीं विशाल भारद्वाज के गाने डार्लिंग आँखों से आंखे चार होने दो रोको न टोको न गाने से पूरा गेयटी थियटर गूँज उठा।
फिल्म अभिनेत्री, निर्देशिका, लेखिका, चित्रकार व फोटोग्राफी दिप्ति नवल ने दिप्ति नवल ने कहा कि डिजिटल युग में साहित्य का अपना अलग अस्तित्व है। इंटरनेट मीडिया में आज कई लोग लिखते हैं यह पता ही नहीं होता कि लिखने वाला कौन है व उसके विचार कैसे हैं। यह साहित्य अकादमी का यह अच्छा प्रयास है कि इस तरह का आयोजन शिमला के गेयटी थिएटर में हो रहा है। अरसे के बाद यहां ऐसा आयोजन हुआ है भविष्य में भी इस तरह के आयोजन यहां होंगे। दिप्ति नवल ने कहा कि रेडलाइट एरिया को एक लेखिका के तौर पर लिखा। मेरा काम चीजों को उठाना है बाकि विभागों का काम है उसमें सुधार करें। राइटर की जॉब मुद्दों को सामने लाना है। इसमें सुधार सरकार, विभागों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का काम है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दिप्ति नवल ने कहा कि मैं आधी हिमाचली हुं आधी पंजाबी। मेरा कनेक्शन हिमाचल से हैं। मेरे नाना पहाड़ी आदमी थे। वह डोगरी थे व मूलत कांगड़ा के रहने वाले थे जबकि मेरे पिता पंजाब के थे। मेरा कनेक्शन हिमाचल व पंजाब दोनों ही स्थान से है। वर्ष 1956 में रोहतांग पास गई थी उस वक्त सड़के भी नहीं होती थी। अब टनल भी बन गई है लाई ओवर भी बन जाएंगे। उन्होंने कहा कि मैं हिमाचल को प्यार करती हुं।

शनिवार को होगा ये कार्यक्रम

इसके अलावा 18 जून को वायसराय सभागार में अभिव्यक्ति के इस उत्सव में विशेष रूप से बोलेंगी। 18 जून को ही मैं क्यों लिखता हूं, लिखती हूं की अध्यक्षता रघुवीर चौधरी करेंगे। वहीं अमेरिका से विजय शेषाद्रि, चित्रा बैनर्जी दिवाकरुणी, मंजुला पद्मनाभन, मेडागास्कर से अभय के, दक्षिण अफ्र ीका से अंजू रंजन, यूके से दिव्या माथुर, सुनेत्र गुप्ता, नीदरलैंड से पुष्पिता अवस्थी और नॉर्वे से सुरेश चंद्र शुल्क प्रवासी भारतीय साहित्यिक अभिव्यक्तियां विषय पर होने जा रहे संवाद में भाग लेंगे। इसकी विजय शेषाद्रि अध्यक्षता करेंगे

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