आईजीएमसी में  स्क्रब टायफस से 1 ब्यक्ति की मौत,  1 से 2 मामले आ रहे प्रतिदिन अबतक 320 पॉजटिव ,6 की मौत

शिमला। स्क्रब टायफस संक्रमितों के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे है। रोजाना ही आई.जी.एम.सी. में मामले आ रहे है। वही  स्क्रब टायफस से मंगलवार देर शाम एक ब्यक्ति की मौत हो गयी है। 57 वर्षीय ब्यक्ति बिलासपुर से स्क्रब टायफस के इलाज के लिये आईजीएमसी आया था जहाँ ब्यक्ति का ईलाज चल रहा था। मंगलवार देर शाम ब्यक्ति ने एम तोड़ दिया।स्क्रब  टायफस के प्रतिदिन 1,2 मामले आईजीएमसी पहुंच रहे है।
 स्क्रब टाफस का आंकड़ा अब 320पहुंच गया है। ये वह मरीज है जिन्होंने आई.जी.एम.सी. में अपना उपचार करवाया है और करवा रहे है। वहीं अभी तक आई.जी.एम.सी. में स्क्रब टायफस से 6 लोगों की मौत हो चुकी है। आई.जी.एम.सी. में रोजाना 1 से 2 मामले आ रहे है। अब स्क्रब टायफस के आ रहे मामलों को देखकर चिकित्सक भी अर्लट हो गए है। चिकित्सकों ने लोगों के लिए निर्देश दिए है कि जैसे ही किसी लोगों को इसके लक्षण दिखाई देते है, तो नजदी की अस्पतालों में जाकर अपना इलाज करवाए। इससे बचने के लिए लोगों को सावधानी बरतनी होगी। ध्यान रहे कि स्क्रब टायफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है, जो खेतों झाडिय़ों व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है। जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टायफस बुखार बन जाता है। विभागाधिकारियों का कहना है कि मॉनीटरिंग की जा रही है और रोजाना रिपोर्ट निदेशालय और सचिवालय भेजी जाती है। चिकित्सकों का तर्क है कि लोगों को चाहिए कि इन दिनों झाडिय़ों से दूर रहे और घास आदि में न जाए, लेकिन किसानों और बागवानों के लिए यह संभव नहीं है, क्योंकि इन दिनों घास काटने का अधिक काम रहता है। यही कारण है कि स्क्रब टायफस का शिकार होने वाले लोगों में किसान और बागवानों की सं या ज्यादा है। आई.जी.एम.सी. में आए अब तब मरीजों में किसान व बागवानों की संखया अधिक है। गांव के लोगों का ज्यादातर काम घास के बीच ही होता है। ऐसे में लोग स्क्रब की चपेट में आ जाते है।
 स्क्रब टायफस के लक्षण मरीज को तेज बुखार जिसमें 104 से 105 तक जा सकता है। जोड़ो में दर्द और कंपकपी ठंड के साथ बुखार, शरीर में ऐठन अकडऩ या शरीर का टूटा हुआ लगना अधिक संक्रमण में गर्दन बाजू कूल्हों के नीचे गिल्टियां का होना है। इससे बचने के उपाय लोग सफाई का विशेष ध्यान रखे। घर व आसपास के वातावरण को साफ  रखें। घर व आसपास कीटनाशक दवा का छिड़काव करे। मरीजों को डॉक्सीसाइक्लन और एजिथ्रोमाईसिन दवा दी जाती है। स्क्रब टायफस शुरूआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडऩी और लीवर पर अटैक करता है। यही कारण है कि मरीजों की मौत हो जाती है।
 आईजीएमसी के एमएस डॉ जनक राज ने बताया कि
आई.जी.एम.सी. में स्क्रब टायफस के मामले आ रहे हैं। वही 1 ब्यक्ति की स्क्रब से मौत हुई है। लोगों से हमारी अपील है कि वे सावधानी बरते। अगर स्क्रब के कोई लक्षण दिखाई देते है तो अस्पताल में आए और समय से अपना उपचार शुरू करें। अस्पतालों में उपचार के पूरे साधन है।

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