शिमला।चीनी सामान के बहिष्कार और मेक इन इंडिया सामान की मांग देश में जोर पकड़ने लगी है। चीनी सामान बड़ी मात्रा में भारत में भी पहुंच रहा है। मगर इसकी जगह अब स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए कई संगठन सामने आ रहे हैं।
भारत तिब्बत समन्वय संघ भी मेक इन इंडिया के पक्ष में खुलकर सामने आया है। शनिवार को शिमला में एक प्रेस वार्ता में संघ के हिमाचल अध्यक्ष बी आर कौंडल कहा कि
चीन से किसी भी प्रकार का आयात न करके देश में ही निर्मित वस्तुओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने
एक उपभोक्ता के रूप में देश के नागरिकों का आवाहनकिया कि वे संकल्प लें कि चीन में बने उत्पादों का मोह छोड़ कर स्वदेशी उत्पादों का ही उपयोग करेंगे। ऐसा करने से न केवल देश के उद्योग धंधों को बढ़ावा मिलेगा बल्कि भारत के कई लोगों को रोजगार भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि अभी कई उत्पादों का निर्माण चीन में होता हैं और उनकी असेम्ब्लिंग भारत में की जाती है जो आर्थिक और रोजगार की दृष्टि से भारत के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है। उन्होंने विनिर्माण के क्षेत्र में चीन के इस वर्चस्व को तोड़ने के लिए सरकार के साथ साथ कॉर्पोरेट जगत और देश के नागरिकों द्वारा संयुक्त रूप से प्रयास किये जाने की जरुरत है। इसके साथ ही चीन में होने जा रहे विंटर ओलंपिक का भी बहिष्कार करने की मांग की।
संघ ने चीन द्वारा तिब्बत में किए जा रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चिंता जताई और भारत सहित विश्व समुदाय से तिब्बत को आजाद करवाने की भी मांग की। कैलाश मानसरोवर को भी चीन को मुक्त करवाने की मांग की गई। संघ के पदाधिकारियों ने कहा है कि भगवान की इन धरमस्थली तक पहुंचने में चीन अक्सर बाधा डालता रहता है। ऐसे में इसको मुक्त करवाना जरुरी है।
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