शिमला, ।शोधार्थियों के लिए 10 अक्टूबर से 24 अक्टूब तक रिसर्च स्कॉलर इंटर्नशिप प्रोग्राम आयोजित किया जा रहा है। यह बात प्रान्त संयोजक सुयश पवार शोध हिमाचल प्रदेश ने शिमला में पत्रकार वार्ता के दौरान कही। उन्होंने कहा कि शोधार्थी पूरे प्रदेश में स्वतंत्रता सेनानियों के घरों में जाकर उनकी जानकारी प्राप्त करेंगे।इस शोध में लगभग 75 शोधार्थी जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में जितने भी हिमाचल प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने स्वाधीनता आंदोलन में भाग लिया था और जो स्वतंत्रा सेनानी जिनका नाम इतिहास के पन्नों से गायब है उन सभी के घर तक पहुंच कर सभी का पता लगा कर एक रिपोर्ट और किताब लिख कर आने वाले समय में प्रकाशन किया जाएगा। इस इंटर्नशिप प्रोग्राम में हिमाचल प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के 75 शोधकर्ताओं को प्रदेश के गांव गांव में भेजा जाएगा व स्वतंत्रता सेनानियों के घरों में उनके परिवारों और आश्रितों से स्वतंत्रता सेनानियों की जानकारी जुटाई जाएगी साथ ही उन परिवारों की वर्तमान स्थिति का पता लगाया जायेगा।
10 अक्टूबर को हमीरपुर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा जिसमे इस शोध के संबंधित जानकारी प्राध्यापकों द्वारा दी जाएगी। 24 अक्टूबर को इस प्रशिक्षुता कार्यक्रम का समापन शिमला में किया जाएगा जिसमें शोधार्थी इस शोध के दौरान हुए अनुभवों को साझा करेंगे। इस 15 दिवसीय प्रशिक्षुता कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के लगभग 1000 स्वतंत्रता सेनानियों के घरों तक पहुंचा जायेगा और आवश्यक जानकारी इकट्ठा की जायेगी जिसको बाद में पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जायेगा जिससे आने वाली पीढी प्रेरणा लेंगी। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानकारी ना के बराबर है बहुत सारे आजादी के नायक आज भी गुमनाम है जिनको समाज के सामने लाना एक महत्वपूर्ण कार्य है इसी को ध्यान में रखते हुए शोध हिमाचल प्रदेश यह अभियान 10 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक चलायेगा। स्वतंत्रता आंदोलन में हिमाचल प्रदेश का भी विशेष योगदान रहा है। क्योंकि गुलामी के कालखंड में हिमाचल प्रदेश में भी अंग्रेजों की कई छावनीया विद्यमान थी। हिमाचल प्रदेश से भी कई वीर पुरुष आजादी के यज्ञ में कूदे थे। जिसमें सूबेदार भीम सिंह, खुशी चन्द पराशर स्वर्गीय गोकुल चन्द्र जैसे असख्य नाम हैं जो हिमाचल प्रदेश से संबंध रखते तथा स्वाधीनता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ऐसे में हम सभी का दायित्व बनता है की अपने राष्ट्र के गौरवशाली इतिहास, स्वाभिमान तथा बलिदान की परंपराओं से अपनी वर्तमान युवा पीढ़ी को अवगत करवाएं।
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