प्रदेश में मंडी मध्यस्थता योजना लागू करे सरकार :संजय चौहान

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प्रदेश में मंडी मध्यस्थता योजना लागू करे सरकार :संजय चौहान
शिमला।
किसान संघर्ष समिति सेब के दामों में आई भारी गिरावट व किसानों का मंडियों में हो रहे एपीएमसी कानून की खुली अवहेलना से किसानों के शोषण पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्हाेंने सरकार से मांग उठाई कि सेब से लिए प्रदेश में मंडी मध्यस्थता योजना को पूर्ण रूप से लागू कर कश्मीर की तर्ज पर ए ग्रेड के सेब के लिए 60 रुपए, बी ग्रेड के सेब के लिए 44 रुपए अाैर सी ग्रेड के सेब के लिए 24 रुपए प्रति किलो के हिसाब से एचपीएमसी, हिम्फैड व अन्य सहकारी समितियों के माध्यम से खरीद की जाए। समिति के महासचिव संजय चाैहान ने कहा कि सरकार प्रदेश में एपीएमसी कमेटीयों की लचर कार्यप्रणाली के कारण मंडियों में एपीएमसी कानून की खुली अवहेलना पर रोक लगाए। कानून के प्रावधानों को सख्ती से लागू कर मंडियों में खुली बोली लगाई जाए। मंडियों में जिनके पास लाइसेंस व परमिट है उन्हें ही कारोबार की इजाजत दी जाए अाैर किसानों को जिस दिन उनका उत्पाद की बिक्री हो उसी दिन खरीददार व आढ़ती द्वारा भुगतान के प्रावधान को सख्ती से लागू करें। सरकार कानून की अवहेलना करने वालो के विरुद्ध सख्ती से कानूनी कार्यवाई कर किसानों को मंडियों में हो रहे शोषण पर रोक लगाए। यदि सरकार इन मांगों पर अमल नहीं करती है तो समिति किसानों को लामबंद कर आंदोलन करेगी।
संजय चाैहान ने कहा कि सेब के दामों में आई भारी गिरावट व निरंतर लागत वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण आज सेब की 5000 करोड़ रुपए की आर्थिकी गहरे संकट में चली गई है। सरकार की नीतियों के कारण आज कृषि व बागवानी में लागत कीमत में निरंतर वृद्धि हो रही है। सरकार जो खाद, बीज, कीटनाशक, फफूंदीनाशक व अन्य लागत वस्तुओं पर जो सब्सिडी व सहायता प्रदान करती थी वह बिल्कुल समाप्त कर दी है। आज किसान बाजार से महंगी लागत वस्तुएं महंगे दामों पर खरीदने के लिए मजबूर हैं। आज सेब के दाम औसतन 300 से 1400 रुपए प्रति पेटी मिल रहे है जोकि पिछले 15 वर्षों में सबसे कम है। उन्हाेंने कहा कि पहले ही प्रदेश में प्राकृतिक आपदा जिसमे भारी ओलावृष्टि व बर्फबारी, वर्षा व सूखे से किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। परंतु सरकार ने कुछ हद तक इसका आंकलन करने के बावजूद किसी भी किसान को इसकी भरपाई के लिए कोई राहत अभी तक प्रदान नहीं की है।

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