October 25, 2024

अंतर्राष्ट्रीय समर फेस्टिवल की अंतिम संध्या दलेर मेंहदी के नाम, हो जाएगी बल्ले बल्ले पर झूमे दर्शक

Featured Video Play Icon

शिमला। अंतर्राष्ट्रीय समर फेस्टिवल की अंतिम संध्या जाने माने सिंगर दलेर मेंहदी ने धमाल मचा दिया। रिज मैदान पर मौजूद लोगों की नज़रें दलेर मेंहदी पर टिकी हुई थी। उन्होंने नाना नाना ना रे, हो जाएगी बल्ले बल्ले, ज़ोर का झटका समेत कई गानों की प्रस्तुति दी। पर्यटक भी उनके गानों पर खुदको नाचने से रोक नहीं पाए। आखिरी सांस्कृतिक संध्या में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बतौर मुख्यतिथि शिरकत की। इस दौरान डी.सी अनुपम कश्यप ने मुख्यातिथि का स्वागत किया। उन्होंने शॉल टोपी पहनाकर सम्मानित किया। एसपी शिमला संजीव गांधी, शहरी विधायक हरीश जनारथा……. मौजूद रहे। इससे पहले दोपहर के समय सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत हो गई थी। शहर के विभिन्न स्कूलों से आए बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए। जबकि स्थानीय कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति दी। आज ग्रीष्मोत्सव के आखिरी दिन राजकीय उच्च पाठशाला कैथू, चैप्सली स्कूल शिमला, पटियाला, उत्तराखंड, पंजाब, उत्तर प्रदेश के कलाकारों द्वारा अनेक प्रकार के नृत्य प्रस्तुत किए गए। वहीं ग्रीष्मोत्सव में ऑडिशन में चयनित कलाकारों द्वारा भी नृत्य, गायन, भांगड़ा आदि गतिविधियां प्रस्तुत की गई। इसमें अनुमोदित कलाकार अरविंद सिंह राजपूत, नरेन्द्र निट्टू, अजय चौहान और अज्जू तोमर, अभिज्ञ द बैन्ड, डा. महेन्द्र राठौर तथा कुमार साहिल ने अपनी मधुर आवाज से लोगों का खूब मनोरंजन किया और लोगों ने बहुत आनंद उठाया। आज के मंच संचालक पूजा चौधरी, विनोद कुमार, आर.जे शालिनी और मुनिश नंदन ने किया। इसके साथ ही चिल्ड्रन ऑफ दी स्टेट द्वारा अपनी प्रस्तुति दी गई। वहीं ग्रीष्मोत्सव में उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र पटियाला के कलाकार प्रतिदिन बहरूपिया, कच्ची घोड़ी, वायोस्कोप व कठपुतली के रूप में लोगों का खूब मनोरंजन कर रहे हैं।
महानाटी में हिमाचली संस्कृति
समर फेस्टिल के अंतिम दिन मालरोड पर महानाटी का आयोजन किया गया। शिमला के विभिन्न क्षेत्रों से आई करीब 400 महिलाओं ने नाटी डाली। इसमें शिमला शहरी बाल विकास परियोजनाओं में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व ग्रामीण विकास विभाग से 4 विकास खंड मशोबरा, बसंतपुर ठियोग की महिलाओं ने इसमें हिस्सा लिया। इस दौरान महिलाएं हिमाचली वेशभूषा में नज़र आई। उन्होंने रेज्टा, सदरी और डाठू पहना हुआ था। सभी महिलाएं हिमाचली परिधान बेहद सुंदर लग रही थीं। महानाटी का आयोजन महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा किया गया। महानाटी को देख कई युवतियां भी नाटी डालने के लिए आगे आई। यह नज़ारा देखने लायक था। इससे पहले शिमला कार्निवल में भी महिलाओं द्वारा महानाटी डाली गई थी।
स्वयं सहायता समूह के स्टॉलों पर जुटी भीड़
रिज मैदान पर लगे स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के स्टॉलों पर अंतिम दिन काफी भीड़ उमड़ी। पर्यटक काफी संख्या में हिमाचली व्यंजनों का स्वाद चखते नज़र आए। इस दौरान कई पर्यटक सिड्डू व पकैन के दीवाने हो गए थे। कई लोगों ने महिलाओं द्वारा हाथों से बनाए उत्पादों की भी खरीदारी की।
सड़क सुरक्षा का दिया संदेश
रिज मैदान पर समर फेस्टिवल के दौरान सड़क सुरक्षा का संदेश दिया गया। परिवहन विभाग के सड़क सुरक्षा प्रभाग ने अंतिम दिन भी लोगों को सड़क सुरक्षा का पाठ पढ़ाया। उनके द्वारा लोगों को गानों व नाटक के माध्यम से यातायात नियमों का पालन करने की अपील की गई। रिज पर गानों व नाटक को देखने के लिए काफी संख्या में लोग इकट्ठे नज़र आए।
सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद
समर फेस्टिवल के पहले से लेकर अंतिम दिन तक सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद थी। रिज, मालरोड, कार्ट रोड, बस स्टैंड, सीटीओ समेत चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान तैनात दिखे। समर फेस्टिवल में किसी को भी बिना पास के एंट्री नहीं दी जा रही थी। जो पास दिखा रहे थे सिर्फ उन्हें ही एंट्री मिल रही थी।
रात 12 बजे तक चलती रही बसे व टैक्सी ट्रैवलर
समर फेस्टिवल को लेकर जिला प्रशासन ने देर रात तक एच.आर.टी.सी की बसे चलाने के निर्देश दिए हुए थे।अंतिम संध्या के अवसर पर एच.आर.टी.सी प्रबंधन ने शिमला के जगह-जगह से अपनी बसे व राइड विद प्राइड टैक्सी, ट्रैवलर को चलाया। इस दौरान बसों में लोगाें की काफी भीड़ रही। देर शाम से रिज आने वाले लोग ज्यादातर राइड विद प्राइड से पहुंचे जिस कारण काफी भीड रही।
रिज मैदान फूल, पुलिस ने बदले रिज आने वाले रास्ते
समर फेस्टिवल की अंतिम संध्या को देखने के लिए काफी संख्या में लो रिज मैदान पर आए। जिस कारण रिज मैदान पर भीड़ बढ़ गई। पुलिस ने संजौली से रिज आने वाले लोगों के लिए रास्ता बंद किया और उन्हें घूमकर टक्का बैंच से मालरोड उतारा गया तथा स्कैंडल प्वांइट से होते हुए रिज पहुंचना पड़ा। ऐसे में लोग इधर से उधर घूमते रहे। क्योंकि रिज मैदान पर खड़े रहने के लिए भी जगह नहीं बची थी।

About Author