छात्र ने अपने मोबाइल पर ही बनाया फर्जी सार्टिफिकेट, आरोपी को दो दिन का पुलिस  रिमांड

 

शिमला इंदिरा गांधी मैडिकल कॉलेज में एम.बी.बी.एस. के दाखिले में हुए फर्जीवाड़े मामले को लेकर आरोपी छात्र ने अब राज खोलने शुरू कर दिए है। पुलिस पूछताछ में अरोपी छात्र कार्तिक ने बताया कि वह घर से इकलौता बेटा है। चौथी बार नीट का एगजाम दिया था। जब चौथी बार भी असफल रहा तो मानसिक तनाव में आकर फर्जी सार्टिफिकेट बना डाला।
आरोपी छात्र ने अपने मोबाइल पर ही फर्जी सार्टिफिकेट बनाया था। आरोपी ने पहले छात्रा का पी.डी.एफ. फाइल में सार्टिफिकेट डाऊनलोड़ किया। उसके बाद एडिट कर उसमें अंक बदल दिए और सार्टिफिकेट तैयार का दिया। वैसे पुलिस को किसी गिरोह के होने की अशंका है, लेकिन अभी प्राथमिक जांच में सिर्फ यह सामने आया है कि स्वयं ही तैयार किया है। पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में पेश कर दिया है और 2 दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया है।
डाक्टर बनना लक्ष्य था। आरोपी छात्र के नीट एगजाम में 400 अंक आए थे। ऐसे में वह मेरिट लिस्ट से बाहर हो रहा था। तभी छात्र ने टेंपरिंग कर 400 से सीधे 560 अंक बनाए। अटल मैडिकल रिसर्च विश्वविद्यालय नेरचौक मंडी ने मैडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए काउंसलिंग करवाई थी। जिसके आधार पर उसे आई.जी.एम.सी. में एडमिशन मिल गई। आई.जी.एम.सी. में पहले तीन बार काउंसलिंग हुई। उसके बाद मॉपअप राउंड हुआ। जब ब्रांच में सार्टिफिकेट को अपलोड कर रहे थे उसमें पाया गया कि इस रैंक में तो हरियाणा की छात्रा है। उसके बाद तुरंत आई.जी.एम.सी. प्रशासन हरकत में आया और जांच शुरू की। जांच में सार्टिफिकेट फर्जी पाया गया। छात्र बिलासपुर के घुमारवी का रहने वाला है और उसके पिताजी सीमेंट फैक्टरी में काम करते है। बेटे के ऐसे कारनामों से मां व पिता के होश उड़ गए है।
चंडीगढ़ में हुई आरोपी छात्र की छात्रा से पहचान
आरोपी छात्र की छात्रा से चंडीगढ़ में पढ़ाई के दौरान पहचान हुई थी। यह बात छात्र ने स्वयं कबूली है। हालांकि इसका छात्रा को कोई पता नहीं है। पुलिस पूछताछ में छात्र ने यह भी कबूला है कि नैशनल टेस्टिंग एजेंसी (एन.टी.ए.) द्वारा एम.बी.बी.एस. में प्रवेश के लिए करवाई गई नीट के रिजल्ट के बाद सार्टिफिकेट में उसने स्वयं ही छेड़छाड़ की है।
स्वजनों के आने के बाद हुई गिरफ्तारी

पुलिस व आइजीएमसी प्रशासन ने इस मामले में पूरी सावधानी बरती। आरोपित के स्वजनों को पहले अस्पताल प्रशासन ने सूचित किया। उसके बाद पुलिस को लिखित शिकायत दी। पुलिस ने भी स्वजनों को पहले शिमला आने दिया। उनकी उपस्थिति में ही इसे गिरफ्तार किया गया। पुलिस को अंदेशा यह था कि छात्र डर के मारे कोई गलत कदम न उठाए।

लैपटॉप, मोबाइल फोन सहित अन्य दस्तावेजों की हो रही जांचपुलिस आरोपित छात्र के मोबाइल फोन, लैपटॉप सहित अन्य दस्तावेजों की भी जांच कर रही है। पुलिस को अंदेशा है कि फर्जीवाड़ा अकेले करना आसान नहीं है। इसमें कुछ और आरोपित भी शामिल हो सकते हैं। इसलिए छात्र की कॉल डिटेल से लेकर लैपटॉप को भी जांचा जा रहा है। बहरहाल पुलिस ने आईपीसी की धारा 420, 467 व 68 के तहत मामला दर्ज किया है। जैसे जांच आगे बढ़ेगी पुलिस इसमें आईटी एक्ट की धारा भी लगाएगी।ऐसे सामने आया था मामला

एमबीबीएस में प्रवेश के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी प्रवेश परीक्षा का आयोजन करती है। प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण हुए विद्यार्थियों की राज्यवार मैरिट लिस्ट बनती है। कॉलेजों में कुल सीटों की 85 फीसद सीटें राज्य कोटे की होती है जबकि 15 फीसद सीटें ऑल इंडिया कोटे की होती है। अटल मैडिकल रिसर्च विश्वविद्यालय नेरचौक मंडी प्रदेश के सभी मैडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए काउंसलिंग करवाता है। आरोपित छात्र ने राज्य कोटे के आधार पर एडमिशन ली है। उसने एनटीए की वेबसाइट पर घोषित रिजल्ट से नेहा शर्मा नाम की छात्रा का सर्टिफिकेट डाउनलोड कर उसमें छेड़छाड़ कर फर्जी दस्तावेज तैयार किए। इसी आधार पर वह काउंसलिंग में गया व उसका नंबर भी आ गया। कांसलिंग का पूरा रिकार्ड नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) को देना होता है। एनएमसी ने जब रिकार्ड को देखा तो एक एडमिशन फर्जी पाई गई। उन्होंने इसकी सूचना कॉलेज के साथ शेयर की। आइजीएमसी ने इसकी जांच कर छात्र का रिकार्ड चैक किया। छात्र काे कॉलेज से निष्कासित करने के बाद उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए लक्कड़ बाजार चौकी को पत्र भेजा है।

एएसपी सुनील नेगी ने बताया कि

आरोपित छात्र ने अपना जुर्म कबूल लिया है। उसने माना कि उसने दाखिले के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए थे। मामले की जांच चल रही है।

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