किसानों ने अदाणी एग्री फ्रेश को एक हफ्ते में 6000 टन सेब बेचे
शिमला।, शिमला: अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए, हिमाचल प्रदेश के किसानों ने इस साल एक हफ्ते से भी कम समय में अदाणी एग्री फ्रेश को 6000 टन सेब बेचे हैं। उल्लेखनीय है की अदाणी एग्री फ्रेश ने 15 अगस्त को इस साल की खरीदी शुरू की थी और सिर्फ दो दिन में 2000 टन का आंकड़ा पार कर लिया था।
पिछले तीन दिनों में अचानक मौसम खराब होने और सडकों के टूटने की वजह से सेब के परिवहन में किसानों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, लेकिन फिर भी AAFL के प्रोक्योरमेंट सेण्टर के बाहर सेब के ट्रकों का आना बंद नहीं हुआ। इस साल अदाणी एग्री फ्रेश ने पिछले साल के मुकाबले चार रूपए ज्यादा से सेब खरीदने शुरू किये हैं, जो की मंडियों द्वारा तय किये कीमतों से हर साल की तरह ही ज्यादा है। प्रदेश में हुई सेब की बम्पर पैदावार और ज्यादा मूल्यों के बाद किसानों में अदाणी एग्री फ्रेश की लिए काफी उत्साह देखा जा रहा है और AAFL के रामपुर, सैंज और रोहरु स्तिथ प्रोक्योरमेंट सेंटरों के बाहर लम्बी-लम्बी कतारें भी देखी गयी।
“हमारे लिए सबसे ज्यादा ख़ुशी की बात है की इस साल अच्छी फसल के साथ साथ हमें बढ़ी हुई कीमत भी मिल रही है। इसका सीधा असर हमारी आमदनी पर होगा। इस बार मौसम खराब होने के बावजूद AAFL की खरीदी प्रर्किया पर कोई असर नहीं पड़ा। इनके हर सेंटरों पर हमारे लिए हर तरह की सुविधा का इंतज़ाम किया जाता है। ज़ाहिर है की किसान लम्बी लाइन लगा कर भी AAFL को ही सेब बेचना पसंद करते हैं,” रामपुर प्रोक्योरमेंट सेण्टर के बाहर अपनी बारी का इंतज़ार करते हुए एक सेब किसान ने बताया।
हिमाचल देश का सबसे बड़ा सेब उत्पादक राज्य है और संयोजित निजी कंपनियों के आगमन के बाद से बागबानों को जहाँ ज्यादा आमदनी हो रही है, वहीँ ये सेब अब देश और विदेश में भी काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। एक तरह तो ये निजी कंपनियां किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य बिना किसी देरी के देती हैं, वहीँ सेब के चयन – सिलेक्शन, ग्रेडिंग, सॉर्टिंग – की पूरी प्रर्किया उनके सामने की जाती है।
हिमाचल प्रदेश में सालाना आठ से दस लाख टन सेब की पैदावार होती है और अदाणी एग्री फ्रेश इस में से हर साल 22,000 से 25,000 टन सेब खरीदता है। प्रदेश में हज़ारों ऐसे किसान हैं जो की 15 सालों और उस से भी ज्यादा समय से AAFL को अपने सेब बेचते आ रहे हैं। फसल की सालाना स्थिति को ध्यान में रख कर AAFL प्रति वर्ष मूल्य निर्धारित करने से पहले किसान समूहों से बातचीत करके हर बिंदु पर उनकी राय भी लेता है।
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