हिमाचल के अलग अलग कोर्ट में 90 हजार से अधिक मामले लंबित , जजों की कमी के चलते महेंगे न्याय के चलते शीघ्र न्याय के लिए भटक रहे लोग, सरकार संसद में बहस कर निकाले समाधान.

शिमला।हिमाचल के अलग अलग कोर्ट में 90 हजार से अधिक केस पेंडिंग हैं। इसके अलावा यहां पर 17 में से सिर्फ 9 जजों की नियुक्ति ही इस साल हुई है। ये बात पूर्व अध्यक्ष बार काउंसिल पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने शिमला में कही।
जन शक्ति आवाज मंच के राष्ट्रीय संयोजक रणधीर सिंह बधरान (पूर्व अध्यक्ष बार काउंसिल पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट) और राज्य संयोजक नवलेश वर्मा (अधिवक्ता हिमाचल हाईकोर्ट) ) ने शिमला में प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि देश कि विभिन्न अदालतों में 4.70 करोड़ के करीब लंबित मामले पेंडिग हैं। यही हाल हिमाचल प्रदेश का भी हैं, यहां पर भी लोग न्याय के लिए बरसों से तरस रहे हैं, लेकिन सालों साल इंतजार करने के बावजूद भी उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है। 90 हजार से अधिक मामले पेंडिंग है। इसका प्रमुख कारण जहां न्यायालयों में स्टाफ की कमी है, वहीं जजों की कम संख्या भी इसका एक प्रमुख कारण है। उनका कहना है कि 25 से 30 साल के अनुभव रखने वाले उन वकीलों को ज्यूडिशियरी में शामिल करने का मौका दिया जाए, जो लंबा अनुभव रखते हैं। ताकि लोगों को जल्द से जल्द और समय रहते न्याय मिल सके।

अभी से 2025 की तारीखें तय करना शुरू कर दिया
राज्य संयोजक नवलेश वर्मा ने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार, कई अदालतों / न्यायाधिकरणों ने अब मामलों की सुनवाई के लिए 2025 की तारीखें तय करना शुरू कर दिया है। ऐसे में स्थिति बहुत ही निंदनीय है और यदि वर्तमान व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ, तो लोग न्याय के लिए भटकते रहेंगे। उनका कहना है कि देरी के कारण मुकदमेबाजी बहुत महंगी हो जाती है। कानूनी पेशेवर और वादीदोनों सबसे अधिक प्रभावित और पीड़ित हैं। इसी तरह, अदालती मामलों के निपटान में देरी होने से लोग दिक्कत में आ जाते हैं। सरकारी खजाने पर बढ़ता बोझ और सार्वजनिक विकास कार्यों पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है।

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