शिमला तीन दिवसीय इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ शिमला के दूसरे दिन थियेटर मे 33 फिल्मों की स्क्रीनिंग हुई । फिल्मों की स्क्रीनिंग के बाद फिल्मों के डायरेक्टर ने ऑडियंस के साथ अपने फिल्म के अनुभव साझा किए। कोलकाता की ‘ रिपल्स अंडर द स्किन’ की निदेशक फरहा खातून की डॉक्यूमेंट्री फिल्म को लोगों ने खूब सराहा ।फरहा खातून ने दर्शकों से फिल्म से संबंधित अपने अनुभव भी साझा किए। ईरान की फिल्मकार मरियम इब्राहिम की ‘द फिल्म बोर्डिंग हाउस’ को खूब सराहना मिली और मरियम ने उपस्थित दर्शकों से ईरानी फिल्मों के बारे में भी चर्चा की।
सिंगापुर से आई फिल्ममेकर शिल्पा कृष्ण शुक्ला की शॉर्ट फिल्म ‘पोलर बीयर’ स्क्रीन हुई और उन्होंने ऑडियंस से अपनी फिल्म के बारे में चर्चा की । तनिष्का फिल्म मध्य प्रदेश के निर्देशक सुदीप सोनी की डाक्यूमेंट्री फिल्म है। फिल्म में एक नौ साल की बाल कलाकार के कत्थक नृत्यांगना बनने की कहानी बताई गई है। पुणे से आये राज योगेश देसाई की फिल्म ‘ द फर्स्ट लाफ ‘ मराठी शार्ट फिल्म है। इस फिल्म की स्क्रीनिंग के बाद दर्शकों से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि कोविड के दौरान अकेले रहने वाले लोगों को परिवार की अहमियत का बहुत एहसास हुआ। इस दुनिया में हम परिवार के साथ रहते हुए भी अकेले रह रहे थे। फिल्म एक पिता और पुत्र के जीवन के अकेलेपन की कहानी है।
दिव्या हेमंत खरारे की फिल्म ’15 सेकण्ड ए लाइफटाइम ‘ टिक टोक और सोशल मीडिया की दुनिया में खोये युवाओं के जीवन पर प्रकाश डालने वाली डाक्यूमेंट्री फिल्म है। सोशल मीडिया में अपने समय को वर्बाद करने और अपने कीमती वक़्त के सही इस्तेमाल के लिए युवाओं को प्रेरित करती यह फिल्म दर्शकों द्वारा खूब सराही गयी। किस तरह हम अपने दैनिक जीवन में वे फ़िज़ूल के विषयों पर समय बर्बाद करते हैं और यथार्थ से दूर हो जाते हैं। ।राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित फीचर फिल्म ‘अल्फा बीटा गामा’ के निर्देशक शंकर श्रीकुमार की फिल्म को भी दर्शकों ने खूब सराहा। यह फिल्म एक ऐसी महिला की है जो लॉक डाउन के दौरान के अपने पूर्व पति और होने वाले दूसरे पति के साथ एक रहने को वाद्य हो जाते हैं। यह फिल्म जीवन की विभिन्न तहों को खोलती है।
ओपन फोरम में कुल पंद्रह निदेशकों ने चर्चा में भाग लिया। ओपन फोरम में सभी निदेशकों ने अपने देश और प्रदेश में प्रचलित फिल्मों की दशा और दिशा पर चर्चा की और सिनेमा के स्वतंत्र रूप से विकास के विषय पर भी अपनी रखी साथ ही फिल्म महोत्सव के महत्व पर अपनी बात रखी।
फिल्म फेस्टिवल में कुल 17 देशों की फिल्में दिखाई जा रही है । जिनमें कनाडा, अमेरिका, लेबनान, स्पेन, ईरान, ताइवान, ब्राज़ील, आईसलैंड, सिंगापुर, मैक्सिको, ऑस्ट्रेलिया, ग्रीस, बेल्जियम, डेनमार्क, रशिया इत्यादि देशों की डॉक्यूमेंट्री एनिमेशन फीचर फिल्म और शार्ट फिल्म दिखाई जा रही हैं ।
इन फिल्मों के अलावा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ शिमला के कॉम्पिटेटिव सेक्शन के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय वर्ग में विभिन्न देशों की 27 फिल्मों की स्क्रीनिंग हो रही है जबकि राष्ट्रीय वर्ग में 35 फिल्म की स्क्रीनिंग हो रही है। यह सभी फिल्में डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिल्म, फीचर फिल्म, एनीमेशन, और म्यूजिक वीडियो वर्ग में बेस्ट फिल्मों को फेस्टिवल के अंतिम दिन पुरस्कृत किया जाएगा । इस फिल्म फेस्टिवल में हिस्सा लेने देश और विदेश से 50 निर्देशक शामिल हुए हैं । जोकि गेयटी थिएटर में दर्शकों से रूबरू हो रहे है।
इस बार इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ शिमला में नेशनल फिल्म आर्काइव्स आफ इंडिया, पुणे द्वारा एक फिल्म प्रदर्शनी का भी आयोजन किआ गया है। जो कि दर्शकों का फिल्म के बारे में ज्ञान बढ़ाने में सहायक होगी। इस प्रदर्शनी में फिल्म से संबंधित विभिन्न कृतियां प्रदर्शन के लिए रखी गयी है।
अंतराष्ट्रीय फिल्म समारोह की फ़िल्म्ज़ की स्क्रीनिंग जेल बंदियों के लिए मॉडल केन्द्रीय कारागार, कण्डा और नाहन जेल मे भी की जा रही है , जिससे उन्हें भी सिनेमा के विभिन्न आयामों से रूबरू होने का मौका मिल रहा है और बाहरी दुनिआ को समझने का अवसर मिल रहा है ।
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