शिमला। दिवाली पर्व को लेकर एजेंसी के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने पटाखे चलाने को लेकर अलर्ट किया है विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि दिवाली की रात बच्चे संभलकर पटाखे चलाएं क्योंकि प्रतिवर्ष दिवाली पर पटाखे से जलने के दर्जनों मामले आईजीएमसी आते हैं चिकित्सकों का कहना है कि सुरक्षित दिवाली मनाए और खुशियां बांटे इस संबंध में आईजीएमसी आपातकाल विभाग के सीएमओ डॉ प्रवीण एस भाटिया ने बताया कि आईजीएमसी में दिवाली वाले रात वह अगले दिन सुबह पटाखे से जलने की दर्जनों मामले सामने आते हैं जिसमें कई बार आंखों में बारूद चलाता है या हाथ पर अनार जल जाने से हाथ जल जाता है ऐसे में लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है उनका कहना था कि बच्चे जब भी पटाखे चलाएं बड़ो का फर्ज है कि वह उनके साथ में खड़े रहे उन्होंने कहा कि खासकर अलार्म फुलझड़ी या बम जब भी चलाएं संभलकर चलाएं क्योंकि यह चीज कई बार अचानक फट जाती है और बच्चों और बड़ों को भी नुकसान पहुंचता है उनका कहना था कि दिवाली पर पटाखों के कारण प्रदूषण भी बहुत होता है जिसका नुकसान दमा के मरीजों यह सांस के मरीजों को अधिक होता है उनका कहना था कि करो ना कॉल में ऑक्सीजन की काफी समस्या रही है हालांकि आईजीएमसी में ऑक्सीजन का भरपूर भंडार है लेकिन प्रदूषण के कारण दमा कि मरीजों या जिन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है उन्हें काफी नुकसान पहुंचता है और समय पर ऑक्सीजन ना मिलने पर हादसा भी हो सकता है ऐसे में दिवाली पर ग्रीन दिवाली ही मनाया यानी कि ऐसे आतिशबाजी चलाएं जिससे कम प्रदूषण हो उनका कहना था कि बच्चों को जल्दबाजी में और अकेले पटाखे नहीं जलाने चाहिए क्योंकि कई बार पटाखे नहीं चलते हैं और जब बच्चे उसे उठाने जाते हैं तो एकदम से फट जाते हैं जिससे हाथ या मुंह जल जाता है उनका कहना था कि सावधानी से पटाखों को चलाएं जिससे किसी को कोई नुकसान ना पहुंचे
More Stories
विधानसभा शीतकालीन सत्र के पहले दिन पक्ष-विपक्ष में तीखी बहस, भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सदन के बाहर मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष आमने-सामने
शिमला में बीडीओ दफ्तर के बाहर स्टोर में लगी आग 20 साल पुराना रिकॉर्ड जलकर राख किसी प्रकार का जानी नुकसान नहीं
सहायक निदेशक डॉ. राकेश सोनी को मिला फोरेंसिक उत्कृष्टता पुरस्कार