November 21, 2024

आईजीएमसी में बच्चों पर सर्वे शुरू , 130 के लिए जा चुके हैं एंटी बॉडी के सैंपल 

आईजीएमसी में बच्चों पर सर्वे शुरू ,
130 के लिए जा चुके हैं एंटी बॉडी के सैंपल
 शिमला : कोविड की तीसरी लहर को लेकर आईजीएमसी अस्पताल में बच्चों को लेकर सर्वे शुरू हो गया है। कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए हानिकारक बताई जा रही है, इसलिए बच्चों में एंटी बॉडी को लेकर सर्वे किया जा रहा है। जानकारी अनुसार अब तक आईजीएमसी अस्पताल में 130 बच्चों के एंटी बॉडी के सैंपल लिए जा चुके हैं। हालांकि अभी इसका लक्ष्य 2 हजार रखा गया है। दो हजार बच्चों जो कि जीरो से 18 साल के हैं, पर सर्वे किया जाना है। जिससे कि बच्चों में एंटी बॉडी का पता लगाया जा सके और कोविड की तीसरी लहर से उन्हें प्रभावित होने बारे पता चल सके। गौर रहे कि इस सर्वे से यह पता चल पाएगा कि कोविड की तीसरी लहर में कितने बच्चे प्रभावित हो सकते हैं और कितनी संख्या में अस्पताल पहुंचेगे। गौर रहे कि इसको लेकर सरकार द्वारा दिशानिर्देश दिए गए थे। इन सैंपल से यह जांचा जाएगा कि कितने बच्चों में एंटी बॉडी पहले से ही बन चुकी है। गौर रहे कि यह एंटी बॉडी कोविड के विरूद्ध बनती है। आईजीएमसी अस्पताल में पीडियाट्रिक विभाग शुरू हो चुकी है। अब बच्चों को कोविड से बचाने के लिए रेंडम सैंपल लिए जा रहे हैं। इस सर्वे में यदि 60 प्रतिशत से ज्यादा संख्या एंटी बॉडी की निकलती है तो कम्यूनिटी स्प्रैड का खतरा कम हो जाता है।
मशीन के माध्यम से होती है जांच
इस सैंपल की जांच किट से नहीं बल्कि मशीन के जरिए की जाती है। अस्पताल में विभिन्न बीमारियों का इलाज करवाने पहुंचने वाले बच्चे जिनका किसी वजह से वजन कम है या अन्य किसी बीमारी का उपचार किया जाना है, तो ऐसे बच्चों के कोविड एंटीबॉडी टेस्ट अस्पताल में ही होंगे। ऐसे में यह पता लग पाएगा कि अगले 3 से 6 महीनों तक ऐसे बच्चों में कोविड नहीं होगा।
18 साल तक के बच्चाें का हाेगा सर्वे
विशेषज्ञाें के अनुसार तीसरी लहर बच्चाें काे सबसे ज्यादा संक्रमित कर सकती है। एेेसे में अब आईजीएमसी प्रदेश भर के 0 से 18 साल आयु वर्ग के बच्चों पर यह सर्वे करेगा। 1000 बच्चाें के इसमें अलग-अलग सैंपल लिए जाएंगे। करीब दो महीने में सर्वे काे पूरा करने का टारगेट हाेगा। इसमें अाईजीएमसी में अाने वाले बच्चाें की रेंडम सैंपलिंग हाेगी अाैर जिनका किसी वजह से वजन कम है, कोविड हुआ है या अन्य किसी बीमारी का उपचार किया जाना है, तो ऐसे बच्चों के कोविड एंटीबॉडी टेस्ट अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा किए जाएंगे। बाद में सैंपलिंग के अाधार पर बच्चाें के बारे में पूरा पता चल जाएगा कि उनके शरीर में एंटीबाॅडी बनी है या नहीं।

यह हाेगा फायदा
बच्चाें में एंटीबाॅडी सर्वे का सबसे बड़ा यह फायदा हाेगा कि सरकार अाैर विभाग के पास यह अांकड़ा भी हाेगा कि कितने फीसदी बच्चाें में एंटीबाॅडी बनी है। इसके अलावा कितने फीसदी बच्चे एेसे हैं, जिन्हें काेराेना की पहली या दूसरी लहर छूं कर गई है। इसी के अाधार पर यह सर्वे किया जाएगा। हालांकि अाईजीएमसी में कुछ दिन पहले 18 बच्चे एेसे एडमिट हुए थे, जिन्हें एमअाईपीएस बीमारी पाई गई थी, यह एेसे बच्चे थे, जिन्हें काेराेना हुअा था मगर उनका टेस्ट नहीं किया गया। उनके शरीर में एंटीबाॅडी बन चुकी थी। इस बीमारी काे देखने के बाद अब प्रशासन पहले से ज्यादा सतर्क हाे गया है। एेसे में अब विभाग काे बच्चाें पर सर्वे करने का जिम्मा साैंपा गया है।

इस सम्बंध में प्रशासनिक अधिकारी डॉ राहुल।गुप्ता ने बताया की कोविड की तीसरी लहर को लेकर 2 हजार बच्चों पर सर्वे होना शुरू हो गया है। अब तक 130 बच्चों के एंटी बॉडी के  सेंपल लिए जा चुके हैं। यदि 60 प्रतिशत इसकी संख्या रहती है तो संक्रमण कम होने का खतरा होगा।
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