December 27, 2025

न्यूज़ीलैंड से सेब आयात पर शुल्क घटाना हिमाचल के बागवानों से विश्वासघात: कंवर रविंदर सिंह

शिमला।राष्ट्रीय किसान कांग्रेस के सचिव कंवर रविंदर सिंह ने केंद्र सरकार द्वारा न्यूज़ीलैंड के साथ सेब को लेकर किए गए फ्री ट्रेड समझौते की कड़ी निंदा की है। एक जारी प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने कहा कि यह निर्णय हिमाचल प्रदेश के किसानों और बागवानों के साथ सीधा विश्वासघात है और इससे राज्य की आर्थिकी पर गंभीर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
कंवर रविंदर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने न्यूज़ीलैंड से आयात होने वाले सेब पर आयात शुल्क को 50 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने का फैसला लिया है, जो पूरी तरह अनुचित है। उन्होंने बताया कि सेब हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में करीब 5 हजार करोड़ रुपये का महत्वपूर्ण योगदान देता है और यह केवल आय का ही नहीं, बल्कि रोजगार, व्यापार, व्यवसाय और बागवानी का सबसे बड़ा आधार है।
उन्होंने कहा कि बाहरी देशों से आने वाले सेब पर आयात शुल्क कम किए जाने से हिमाचल के सेब को देश की मंडियों में और कम दाम मिलेगा, जिससे सीधे तौर पर प्रदेश के किसानों और बागवानों की आय प्रभावित होगी। उन्होंने चेताया कि केंद्र सरकार द्वारा छह साल के लिए किया गया यह समझौता बागवानों की आर्थिक स्थिति को बद से बदतर कर देगा।
कंवर रविंदर सिंह ने कहा कि न्यूज़ीलैंड के सेब की खपत भारतीय बाजारों में आयात शुल्क घटने के बाद 32,500 टन से बढ़कर 45,000 टन तक पहुंचने की संभावना है। इससे भारत में उगाए जाने वाले सेब की कीमत और मांग अपने ही बाजार में घटेगी। उन्होंने यह भी कहा कि न्यूज़ीलैंड और अन्य देशों से आने वाला सेब वहां की भौगोलिक परिस्थितियों के कारण अधिक ठोस और लंबे समय तक उपयोग योग्य होता है, जिसका मुकाबला भारतीय सेब नहीं कर सकता।
उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि वह आयात शुल्क घटाने का यह निर्णय तत्काल प्रभाव से वापस ले। उन्होंने कहा कि यह फैसला न केवल निंदनीय है, बल्कि अपने ही देश के किसानों के साथ अन्याय है और विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश के किसानों और बागवानों की कमर तोड़ने वाला साबित होगा।
कंवर रविंदर सिंह ने कहा कि जहां अमेरिका जैसे देश अपने किसानों, बागवानों, व्यापारियों, मजदूरों और नौकरीपेशा लोगों के हितों की रक्षा के लिए वैश्विक स्तर पर संघर्ष कर रहे हैं, वहीं भारत सरकार द्वारा न्यूज़ीलैंड के साथ किया गया यह फ्री ट्रेड एग्रीमेंट अपने ही लोगों के अधिकार छीनने वाला कदम है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि केंद्र सरकार इस फैसले को वापस नहीं लेती है तो किसान कांग्रेस पहले राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर विरोध दर्ज कराएगी और आने वाले समय में हिमाचल प्रदेश के किसानों और बागवानों के हितों के लिए सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने से भी पीछे नहीं हटेगी।

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