प्रदेश में कोरोना के साथ स्क्रब टायफस का खतरा इस साल अबतक 95 मामले आये सामने

 

शिमला।प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है।।प्रतदिन 300 से 400 मरीज कोरोना संक्रमण के सामने आ रहे है। कोरोना के तीसरी लहर के साथ अब बरसात में लोगो को एक ओर जानलेवा बीमारी स्क्रब टायफस दस्तक दे चुका है। प्रतिवर्ष
कई लोग स्क्रब से ग्रसित होकर जान गवा देते है ऐसे में इस से सावधानी बरतनी जरूरी है

प्रदेश में। 15 जून से 15 अक्टूबर तक बरसात का मौसम रहता है इस दौरान किसानों को अपने।खेत मे भी काम पर जाना पड़ता है अगर इस दौरान किसान सावधानी से काम नही करेंगे तो जानलेवा बीमारी स्क्रब टायफस से ग्रस्त हो जाएंगे और समय पर इलाज नही मिला तो मौत भी हो जाती है। प्रदेश में स्क्रब टायफस दस्तक दे चुका है प्रतदिन 2,3 मरीज स्क्रब के अ रहे है। आईजीएमसी में इस साल अबतक 30 मरीज स्क्रब टायफस से ग्रसित हो कर उपचाराधीन है।

जबकिं पूरे प्रदेश में इस साल अबतक 95 मामले स्क्रब टायफस के अ चुके है।हालांकि इस साल अभी कोई मौत स्क्रब टायफस से नही हुई है।

पिछेल 3 सालों में यह आये मामले सामने

2018 में हिमाचल में 1940 पोस्टिव मरीज 21 मरीजो की मौत हुई।
2019 में 1597 मरीज स्क्रब से ग्रसित हुए 14 मरीजो की मौत हुई।
2020 में 565 मरीज स्क्रब से ग्रसित हुए 6 लोगों की मौत स्क्रब टायफस से हुई

2021 में अबतक 95 लोग स्क्रब टायफस से ग्रसित हुए है और अबतक कोई भी मौत स्क्रब टायफस से नही हुई है।

 

ऐसे फैलता है स्क्रब टाइफस
स्क्रब टाइफस एक संक्रामक बीमारी है जो प्रायः जानवरों में होने वाला मौसमी रोग है और मनुष्यों में आ जाता है। घास काटने गए या अन्य बाहरी कार्य के दौरान व्यक्ति संक्रमित कीट (चिगर्स) द्वारा काटे जाने पर इस बीमारी से ग्रसित हो सकता है। किसान, बागवान, खेतों या बगीचों में काम करने वाले मजदूर और अन्य कार्यों के लिए बाहर जाने वाले लोगों को इससे संक्रमित होने का ज्यादा खतरा रहता है। खेतों में पाए जाने वाले चूहे संक्रमण का मुख्य स्रोत हैं। स्क्रब टाइफस एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में नहीं फैलता।

क्या है लक्षण
स्क्रब टाइफस में तीव्र बुखार मुख्य लक्षण है। इसके अलावा सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सांस फूलना, खांसी, जी मितलाना, उल्टी होना इसके अन्य लक्षण हैं। कुछ मामलों में शरीर पर लाल निशान भी हो जाते हैं। स्क्रब टाइफस में तेज बुखार कंपकंपी के साथ 104 से 105 डिग्री तक आ सकता है। इससे शरीर में ऐंठन, अकड़न अाैर शरीर टूटा हुआ लगना प्रतीत होता है। अगर एेसे लक्षण हाे ताे तुरंत डाॅक्टर से सलाह लें।

एेसे करें बचाव
चिकित्सकों के अनुसार इससे बचने के लिए खेतों में काम करते समय हाथ-पैर को ढक कर रखना चाहिए। खेतों में काम करने के उपरांत नहाना चाहिए अथवा बाजुओं व टांगों को धोना चाहिए। घरों के आस-पास घास को नहीं पनपने देना चाहिए। इसके अलावा अगर शरीर पर लाल निशान पड़ने लगे ताे तुरंत जांच करवानी चाहिए। अस्पतालाें में स्क्रब टाइफस का इलाज उपलब्ध है। अासानी से मरीज ठीक हाे सकता है। हालांकि ऊपरी शिमला में स्क्रब टाइफस के ज्यादात्तर मामले अाते हैं।

क्या कहते है विशेष्ज्ञ।
इस सम्बंध में आईजीएमसी में प्रशासनिक अधिकारी डॉ राहुल गुप्ता ने बताया की स्क्रब टायफस 15जून से 15 अक्टूबर तक रहता है इस दौरान हरि घास में एक कीट के होने और उसके द्वारा ब्यक्ति को काटने से स्क्रब टायफस होता है। उनका कहना था कि जब भी किसान खेतो में।काम करने जाए तो पैरों को पूरा ढके ओर खेत से वापिस आकर नहाए या हाथ पैर साबुन से अच्छी तरह धोएं।
उनका कहना था कि प्रतिवर्ष 300के लगभग मामले सामने आते है।इस से सावधानी बरतना जरूरी है।

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