September 19, 2024

आईजीएमसी में रेजीडेंट डॉक्टरों ने वापिस ली हड़ताल

शिमला। दिल्ली में डॉक्टरों द्वारा शांति पूर्ण तरीके से किए जा रहे संघर्ष को हिंसात्मक तरीके से दबाने की कोशिश, मारपीट और जबरदस्ती डॉक्टरों को संघर्ष स्थल से उठाने को लेकर आई.जी.एम.सी. में रैजिडैंटस डॉक्टर ने शुक्रवार को दोपहर तक हड़ताल की। इस दौरान  मरीजों को उपचार नहीं मिल पाया। रैजिडैंटस डॉक्टर ने ओ.पी.डी. में सिर्फ आपातकालीन वाले मरीजों को ही देखा। बाकी मरीजों को बिना उपपचार करवाए वापिस घर की ओर जाना पड़ा। वहीं  रैजिडैंटस डॉक्टर ने ओ.टी. व वार्डो में भी काम पूरी तरह से बंद रखा। सिर्फ सीनियर डॉक्टरों ने ही सेवाएं दी।
 दोपहर बाद जैसे ही केंद्रीय रैजिडैंटस डॉक्टर से आश्वासन मिलने के बाद आई.जी.एम.सी. में रैजिडैंटस डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल को वापिस लिया। अब रैजिडैंटस डॉक्टर रोजाना की तरह रूटीन में अपनी ड्यूटी देंगे। बताया जा रहा है कि केंद्रीय एसोसिएशन केंद्रीय मंत्री से मिली है और उन्होंने आशवासन दिया है कि 6 जनवरी को मांगे पूरी कर ली जाएगी। जो डॉक्टरो के ऊपर एफ.आई.आर. दर्ज हुई है उसे भी वापिस लिया जाएगा। रैजिडैंटस डॉक्टर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ. माधव ने कहा कि लोकतंत्र में हर नागरिक को अधिकार है कि वह अपनी मांगों को शांतिपूर्ण तरीके से रख सकता है, लेकिन इस तरह का बर्बरता पूर्ण रवैया दिल्ली पुलिस ने दिखाया और जबरदस्ती चिकित्सकों को वहां से उठाया। यहां तक की महिला चिकित्सकों के साथ भी दुर्व्यवहार और हिंसात्मक रवैया अपनाया गया।  रैजिडेंट डॉक्टर पी.जी. काउंसलिंग को जल्द से जल्द करवाने की मांग पिछले डेढ़ महीने से कर रहे हैं और वह भी शांतिपूर्ण तरीके से कर रहे है। इस काउंसलिंग से अगर नए विशेषज्ञ चिकित्सक मैडिकल कॉलेजों में पूरे देश में दाखिल होंगे तो उससे किसको फायदा होगा। जाहिर है कि फायदा जनता को होना है, क्योंकि इस समय पूरा देश करोना कि अगली लहर के कहर के साए में जी रहा है तो फिर यह मांग कैसे अनुचित है। उन्होंने कहा कि 6 जनवरी तक अगर मांगे नहीं मानी जाती है तो उसके बाद आगामी रणनिती तैयार की जाएगी। फिलहाल के लिए हड़ताल को वापिस ले लिया गया है। डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से कुछ ओ.पी.डी. खाली रही तो कुछ में बाहर लोग फर्श पर बैठकर डॉक्टरों का इंतजार करते रहे। आई.जी.एम.सी. में इन दिनों विंटर विकेशन चला हुआ है। ऐसे में आधे डाक्टर विंटर विकेशन पर गए हुए है। आधा ही स्टाफ आई.जी.एम.सी. में सेवाएं दे रहा है। ऐसे में रैजिडैंटस डॉक्टर हड़ताल पर जाने से स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से चरमरा गई।

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