शिमला में कृषि गेहुं जौ अनुसंधान के श्रमिकों ने वेतन न मिलने पर की हड़ताल

शिमला । भारतीय गैंहु जौ अनुसंधान के आउटसोर्स कर्मियों को पिछले 3 महीने से वेतन की अदायगी नही की गयी है। जिसके कारण अब इन लोगों के सामने जीवन का संकट खड़ा हो गया है। 3 महीने बीत जाने के बावजूद जब कर्मियों को वेतन नहीं मिला तो इन श्रमिकों के सब्र का बांध टूट गया और मंगलवार को यह कर्मी हड़ताल पर बैठ गये। श्रमिकों की ओर प्रवाल शर्मा ने बताया कि वेतन न मिलने से काम करने मंजदूरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अधिकांश कर्मियों के मकान का किराया नहीं भी गया है जिस कारण उनको मकान मालिकों की नाराजगी का लगातार सामना करना पड़ रहा है। श्रमिकों का आरोप है पहले तो उनका वेतन हर महीने 07 तारीख तक मिल जाता था लेकिन इसके बाद सरकार ने ठेका आर्यन इनमेटेक इन्टरप्राईसिस को दिया। नये आये ठेकेदार ने इनके वेतन को रोक दिया जिसके कारण इन लोगों को भारी दिक्कतें आ रही है। प्रवाल शर्मा का कहना है कि लेबर कानून के हिसाब से भी 7 तारीख तक वेतन अदायगी हो जानी चाहिए। लेकिन प्रबंधन उनकी पूरी तरह से अनदेखी कर रहा है। उन्होंने अपनी लिखित शिकायत अनुसंधान अध्यक्ष को भी दी है। प्रबंधन की ओर से उनको समय की मोहलत तो मिल रही है लेकिन वेतन अदायगी को लेकर कोई ठोस कारवाई देखने को नहीं मिली है। प्रबंधन की ओर से हड़ताल करने वाले श्रमिकों को जल्द वेतन अदायगी की बात की गयी है। उधर श्रमिकों का कहना है कि जबतक प्रबंधन उनको वेतन की अदायगी नहीं करता तब तक वह हड़ताल करने से पीछे नहीं हटेंगे।
क्या कहता है कंपनी प्रबंधन
ठेकेदार विजय वर्मा ने बताया कि उन्होंने सभी श्रमिकों के वेतन के लिए बिल बनाकर करनाल भेज दिये थे लेकिन उसमें जीएसटी लगाकर बिल भेजे गये। जबकि इस संस्थान के बिल जीएसटी लगाकर नही जाते थे जिस कारण करनाल मुख्यालय से श्रमिकों की तनख्वाह रोक दी गयी। जिस कारण वेतन अदायगी में बिलम्ब हुआ है। उनका कहना है कि उन्होंने वहां उच्च अधिकारियों तक बिल सही करने के लिए सभी कागजात भेज दिये हैं। कंपनी की ओर से 2-2 हजार की फौरी राहत भी मजदूरों को दी जा रही है। जल्द ही उनको पूरा वेतन मिल जायेगा

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