शिमला। इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहा है जयंती योग। यही योग द्वापरयुग में श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के दौरान भी बना है। इसलिए 30 अगस्त को देश भर में धूमधाम से मनाई जाने वाली श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष मानी जा रही है। इस दिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भक्त गण पूरा दिन उपवास करते हैं। रात के 12 बजे तक भगवान श्री कृष्ण का जागरण, भजन, पूजन-अर्चना करते हैं। इस वर्ष भगवान श्रीकृष्ण का 5247वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। वशिष्ठ ज्योतिष सदन के अध्यक्ष व प्रख्यात अंक ज्योतिषी पंडित शशि पाल डोगरा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का अवतरण 3228 ईसवी वर्ष पूर्व हुआ था। 3102 ईसवी वर्ष पूर्व कान्हा ने इस लोक को छोड़ भी दिया। विक्रम संवत के अनुसार, कलयुग में उनकी आयु 2078 वर्ष हो चुकी है। अर्थात भगवान श्रीकृष्ण पृथ्वी लोक पर 125 साल, छह महीने और छह दिन तक रहे। उसके बाद स्वधाम चले गए।
जानिए जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तिथि 30 अगस्त 2021 दिन सोमवार
अष्टमी तिथि प्रारंभ 29 अगस्त 2021 रात 11:25 बजे पर
अष्टमी तिथि समापन 31 अगस्त 2021 सुबह 01:59 बजे पर
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ 30 अगस्त 2021 सुबह 06:39 बजे पर
रोहिणी नक्षत्र समापन 31 अगस्त 2021 सुबह 09:44 बजे पर
निशीथ काल 30 अगस्त रात 11:59 से लेकर सुबह 12:44 बजे तक
अभिजित मुहूर्त सुबह 11:56 से लेकर रात 12:47 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त शाम 06:32 से लेकर शाम 06:56 बजे तक
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहे ये शुभ योग
पूजा का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त की रात को 11:59 से 12:44 बजे तक रहेगा। भादो माह में ही भगवान श्रीकृष्ण ने रोहिणी नक्षत्र के वृष लग्न में जन्म लिया था। 30 अगस्त को रोहणी नक्षत्र व हर्षण योग रहेगा। देश भर के सभी कृष्ण मंदिरों में जन्माष्टमी विशेष धूमधाम के साथ मनाई जाती है। जन्माष्टमी के दिन अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र एक साथ पड़ रहे हैं, इसे जयंती योग मानते हैं। द्वापरयुग में जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, तब भी जयंती योग पड़ा था। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर राशि के अनुसार भगवान कृष्ण को भोग लगाने से कान्हा की कृपा बनी रहती है।
पूजा की विधि
स्नान करने के बाद पूजा प्रारंभ करें। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बालस्वरूप की पूजा का विधान है। पूजा प्रारंभ करने से पूर्व भगवान को पंचामृत और गंगाजल से स्नान करवाएं। इसके बाद नए वस्त्र पहनाएं और शृंगार करें। भगवान को मिष्ठान और उनकी प्रिय चीजों से भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद गंगाजल अर्पित करें। इसके बाद कृष्ण आरती गाएं। चांदी की बांसुरी अर्पित करें। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा-अर्चना, भोग और कीर्तन जैसे कार्यक्रम के साथ आप कान्हा जी को चांदी की बांसुरी अर्पित करें। इसके लिए आप अपनी सामथ्र्य के अनुसार छोटी या बड़ी बांसुरी बनवाएं।
जानें व्रत नियम और पूजा विधि
जन्माष्टमी उपवास के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कार्यों से निवृत होकर भगवान कृष्ण का ध्यान करें। भगवान के ध्यान के बाद उनके व्रत का संकल्प लें और पूजा की तैयारी करें। इसके बाद भगवान कृष्ण को माखन-मिश्री, पाग, नारियल की बनी मिठाई का भोग लगएं। फिर हाथ में जल, फूल, गंध, फल, कुश हाथ में लेकर रात 12 बजे भगवान का जन्म होगा, इसके बाद उनका पंचामृत से अभिषेक करें। उनको नए कपड़े पहनाएं और उनका शृंगार करें। भगवान का चंदन से तिलक करें और उनका भोग लगाएं। उनके भोग में तुलसी का पत्ता जरूर डालना चाहिए। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की घी के दीपक और धूपबत्ती से आरती उतारें।
राशि के अनुसार लगाएं कान्हा को भोग
मेष- इस दिन गाय को मीठी वस्तुएं खिलाकर श्रीकृष्ण भगवान का पूजन करें।
वृष- इस राशि वाले लोग दूध व दही से श्रीकृष्णजी का भोग लगाएं। रसगुल्ले का भोग भी चढ़ाएं।
मिथुन- गाय को हरी घास या पालक खिलाएं और मिश्री का भोग लगाकर श्रीकृष्णजी का पूजन करें।
कर्क- जन्माष्टमी के दिन माखन मिश्री मिलाकर लड्डू गोपाल को भोग लगाकर प्रसाद का वितरण करें।
सिंह- जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण भगवान को पंच मेवा का भोग लगाकर पूजन करें। बेल का फल भी अर्पित कर सकते हैं।
कन्या- इस राशि के लोग केसर मिश्रित दूध का भोग लगाकर श्रीकृष्ण को अर्पित करें और गाय को रोटी खिलाएं।
तुला- भगवान श्रीकृष्ण को फलों का भोग लगाकर पूजन करें और कलाकंद मिठाई का भोग लगाएं।
वृश्चिक- इस राशि के लोग मिश्री और मावा भरकर गाय को खिलाएं और केसरिया चावलों का भगवान को भोग लगाएं।
धनु- जन्माष्टमी के दिन बादाम के हलवे से केसर मिलाकर वासुदेव को भोग लगाकर पूजन करें।
मकर- खसखस के दानों से मिलाकर धनियाब की पंजीरी श्री कृष्ण का भोग लगाकर पूजन व अर्चना करें।
कुंभ- श्री कृष्ण के पास गुलाब की धूप जलाएं। बर्फी का भोग चढ़ाएं।
मीन- मीन राशि वाले प्रभु श्रीकृष्ण को जलेबी या केले का भोग लगाएं, हर समस्या दूर हो जाएगी।
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