October 26, 2024

शांति व आत्मनिरीक्षण का आश्रय प्रदान करता है योगः शुक्ल

शिमला
राज्यपाल  शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि योग को गहनता में समझना जरूरी है तभी इसे दिनचर्या का हिस्सा बनने में सहायता मिलेगी और योग का पूर्ण लाभ लिया जा सकता है।
राज्यपाल आज यहां शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में आयोजित विश्व योग दिवस 2024 संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे। इस संगोष्ठी का आयोजन देव भूमि सेवा संस्थान आश्रम शिमला द्वारा किया गया जिसका विषय था, ‘‘योग एक सम्पूर्ण मानव दर्शन एवं योगचर्या।’’
 शुक्ल ने कहा कि योग एक गहन दर्शन है जो मानव अस्तित्व की संपूर्णता को समाहित करता है। प्राचीन भारत में शुरू हुआ योग एक समग्र अभ्यास है जो शरीर, मन और आत्मा को एकीकृत करता है। इसका उद्देश्य सामंजस्यपूर्ण संतुलन और आंतरिक शांति की स्थिति प्राप्त करना है। इसके सिद्धांत इस समझ पर आधारित हैं कि सच्चा कल्याण एक बहुआयामी अवधारणा है, जिसमें शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्पष्टता, भावनात्मक स्थिरता और आध्यात्मिक पूर्णता शामिल है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा परिप्रेक्ष्य में योग की शिक्षाएँ शांति और आत्मनिरीक्षण का आश्रय प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा दर्शन है जो करुणा, सचेतनता और आत्म-जागरूकता की वकालत करता है। ये गुण एक सामंजस्यपूर्ण समाज के निर्माण के लिए आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि हमारे देश की इस योग परम्परा को आज विश्व भी अपना रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सार्थक प्रयासों से 21 जून, 2015 को प्रथम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पूरी दुनिया में बड़ उत्साह के साथ मनाया गया और अब हर वर्ष मनाया जा रहा है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष  वी. के. भटनागर ने राज्यपाल का स्वागत किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्रीनिवास मूर्ति ने योग की उपयोगिता पर विस्तृत प्रस्तुति दी।
इससे पूर्व, देव भूमि सेवा संस्थान आश्रम के अध्यक्ष  लेख राज राणा ने राज्यपाल का स्वागत किया।  उन्होंने कहा कि संस्थान अपने अन्य प्रकल्पों के अतिरिक्त योग के जनजागरण का कार्य कर रहा है। संस्थान की प्रदेश भर में 70 संस्कार शालाएं कार्यरत है।
इस अवसर पर, शिमला के तारादेवी के शगीन गांव के 10 वर्षीय सक्षम ठाकुर ने योगाभ्यास का प्रदर्शन सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। राज्यपाल ने सक्षम की योग साधना से प्रसन्न होकर उन्हें सम्मानित भी किया।

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