हिमाचल में साल 2023 में 2255 दुर्घटनाएँ, 882 मौतें और 3542 घायल   सड़क हादसो में 13, मृत्यु दर में 14 और चोटों में 12 फीसदी की कमी 

   शिमला। साल 2023 में भी सड़को पर सरपट मौत दौड़ती रही । हांलकि पुलिस प्रशसन के अथक प्रयासो के बाद कुछ हद तक साल 2023 में सड़क हादसो में विराम लगा और सड़क हादसो और मृत्यु दर में कमी आई । साल 2022 के मुकाबले साल 2023 में सड़क हादसो में 13, मृत्यु दर में 14 और चोटों में12 फीसदी की कमी जरूर आई है । यह कुछ हद तक भी तब संभव हुआ जब साल भर पुलिस प्रशासन का राज्य में सड़क सुरक्षा एवं सड़क हादसो में कमी लाने पर फोकस रहा । पुलिस के कठोर प्रयासों से सड़क यातायात दुर्घटनाओं, मृत्यु दर में यह कमी आई है । हिमाचल प्रदेश पुलिस ने सड़क हादसो को कम करने के लिए साल 2022 के दौरान सड़क दुर्घटना डेटाबेस का गहन विश्लेषण किया और उसके बाद नवीनतम उपकरणों की खरीदयातायात की निगरानी एवं विनियमन, पहचान एवं सुधार दुर्घटना-संभावित ब्लैक स्पॉट खिंचाव,क्रैश बैरियर का निर्माण और समुदाय और सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूक किया गया । यही नही सड़क हादसो को कम करने के लिए 44 इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के माध्यम से भी सड़को पर सरपट दौडऩे वाली गाडिय़ो पर नजर रखकर उनके चालान किए । सभी जिला की पुलिस को एल्को सेंसर, लेजर स्पीड रडार, बॉडी वॉर्न कैमरे, मोबाइल हैंडसेट और एकीकृत जिला पुलिस को ई-चालानिंग के लिए हैंडहेल्ड टर्मिनल उपलब्ध कराए गए हैं। उल्लंघन करने वालों के ड्राइविंग लाइसेंस निलंबन के लिए आरएलए को भेजे गए । पुलिस वर्तमान में सड़क सुरक्षा प्रवर्तन की खरीद और आपातकालीन प्रतिक्रिया उपकरण 2 पायलट जिलों के लिए किया जा रहा है यानी शिमला और पुलिस जिला नूरपुर 6 इंटरसेप्टर वाहन, 25 मोटरसाइकिलें,  17 गश्ती वाहन,  6 रिकवरी वाहन, 120 एआई कैमरे इन जिलों के लिए खरीदे जा रहे है । इस परियोजना का अगले चरण में दो और जिलों कांगड़ा और मंडी इसके बाद चार अन्य प्रभावित जिले कुल्लू, सिरमौर, सोलन और ऊना को कवर करेंगे ।  यंहा बताते चले कि हिमाचल के कुछ साल के सडक़ हादसो को देखते हुए नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की सर्वे में हिमाचल को अन्य पहाडी राज्यों की तुलना में सडक हादसों में सबसे खतरनाक राज्य बताया है । हिमाचल में औसतन अन्य पहाड़े राज्यों की तुलना सबसे ज़्यादा सडक दुर्घटनाएं सामने आती हैं।  इस रिपोर्ट के बाद भी सरकार ने सडक हादसों को रोकने के लिए काफी कोशिशें की थीं लेकिन इन हादसों में कोई ख़ास कमी दर्ज नहीं हो पाई      बाक्स  सरकार की लापरवाही और विभागीय सिस्टम भी  जि मेवार  मानवीय खून से रंग रही सडक़ों पर बिखरे दुर्घटनाओ के सबूत चाहे चालक व परिचालक की लापरवाही की गवाही देते हों लेकिन यातायात का पाठ पढाने वाले भी कर्तव्यों को पूरा करने में कोताही बरत रहे है । भले ही सरकार राज्य की सडक़ो पर 90 फीसदी दुर्घटनाओं का कारण ड्राइवर का नशे में रहकर गाड़ी दौड़ाना बता रही हो , लेकिन सरकार की लापरवाही और विभागीय सिस्टम भी इसके लिए जि मेवार है । चूंकि सडक़ो पर हर साल अंधे मोड़ो को चिन्हित किया जाता है ,दावे किए जाते है कि अंधे मोड़ो को समय रहते दरूस्त किया जाएगा,लेकिन सरकार के  ये दावे धरातल में न उतरकर हवा ही साबित होते है । सरकार के कान पर जू तब रैंगती है जब कोई बड़ा हादसा होता है ।

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