हिमाचल में स्क्रब टायफस से पहली मौत, सोलन की महिला ने आइजीएमसी में तोड़ा दम

हिमाचल में स्क्रब टायफस से इस सीजन की पहली मौत हुई है। यह 62 वर्षीय महिला जिला सोलन की रहने वाली थी और बीते तीन दिन से आई.जी.एम.सी. में भर्ती थी। बुधवार रात को महिला ने दम तोड़ दिया है। अब तक स्क्रब टायफस को लेकर 444 लोगों के टैस्ट किए जा चुके हैं, जिसमें से 63 लोग पॉजिटिव आ चुके हैं। आई.जी.एम.सी. में स्क्रब टायफस के मामले लगातार आ रहे हैं। ऐसे में अब चिकित्सक भी अलर्ट हो गए हैं। चिकित्सकों का कहना है कि स्क्रब टायफस को लोग विल्कुल भी हल्के में ना लें। अगर लापवाही बरती तो आपकी जान पर भारी पड़ सकती है। हर वर्ष स्क्रब टायफस लोगों को अपना ग्रास बनाता है। ध्यान रहें कि अगर आपको इसके लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाए। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सर्तक रहने की सलाह दी है। चिकित्सक ने लोगों को निर्देश दिए हंै कि अगर कोई लोग घास काटता है तो वह चिकित्सक को बताएं। ताकि चिकित्सक समय से उसका इलाज कर सकें। बरसात के दिनों में स्क्रब टायफस के अधिक मामले आते हैं।
जानए क्या है स्क्रब टायफस
स्क्रब टायफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है जो खेतों, झाडिय़ों व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है। जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है। चिकित्सकों का तर्क है कि लोगों को चाहिए कि इन दिनों झाडियों से दूर रहे और घास आदि के बीच न जाए, लेकिन किसानों और बागवानों के लिए यह संभव नहीं है, क्योंकि आगामी दिनों में खेतों और बगीचों में घास काटने का अधिक काम रहता है। यही कारण है कि स्क्रब टायफस का शिकार होने वाले लोगों में किसान और बागवानों की संख्या ज्यादा रहती है।
स्क्रब टायफस के लक्षण
स्क्रब टायफस होने पर मरीज को तेज बुखार जिसमें 104 से 105 तक जा सकता है। जोड़ों में दर्द और कंपकपी ठंड के साथ बुखार शरीर में ऐंठन अकडऩ या शरीर का टूटा हुआ लगना अधिक संक्रमण में गर्दन बाजू कूल्हों के नीचे गिल्टियां का होना आदि इसके लक्षण है।
स्क्रब टायफस से बचने के उपाय
लोग सफाई का विशेष ध्यान रखें। घर व आसपास के वातावरण को साफ  रखें। घर व आसपास कीटनाशक दवा का छिडक़ाव करें। मरीजों को डॉक्सीसाइक्लन और एजिथ्रोमाईसिन दवा दी जाती है। स्क्रब टायफस  शुरूआत में आम बुखार की तरह होता है, लेकिन यह सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करता है। यही कारण है कि मरीजों की मौत हो जाती है।

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