वर्ल्ड टीबी डे पर आइजीएमसी नें चलाया जागरूकता अभियान

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शिमला वर्ल्ड टीबी डे पर शिमला के IGMC में डॉक्टरों ने जागरूकता अभियान चलाया। जिसमें कई लोगों के स्वास्थ्य की जांच की गई। साथ ही लोगों को TB होने पर सरकार किस तरह की मदद दे रही है यह बात भी बताई। बता दें कि प्रदेश के सबसे बड़े हॉस्पिटल IGMC में एक महीने में TB के 300 के करीब पेशेंट आते हैं। जिनमें 6% बच्चें शामिल हैं।

यह है टीबी के लक्षण
दो हफ्तों से ज्यादा खांसी होना।
भूख में कमी आना।
खांसते वक्त बलगम और खून का निकलना।
कमजोरी या थकान महसूस होना।
बुखार आना।
रात को पसीना आना।
सीने में दर्द होना।
ठंड लगना।
बोन टीबी के लक्षण में जोड़ों में दर्द, कमर दर्द व रीढ़ की हड्डी में दर्द शामिल हैं।

TB से बचने के लिए सावधानी बरतना जरूरी
टीबी एक संक्रामक रोग है, इसलिए यह हवा के माध्यम से भी फैल सकता है।
माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (एमटीबी) बैक्टीरिया इसकी सबसे बड़ी वजह।
टीबी ग्रसित व्यक्ति का रूमाल या तौलिया इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
एचआईवी की अवस्था में भी टीबी होने का खतरा।

TB होने पर घबराने की जरूरत नहीं
डॉक्टरों का कहना है कि पॉजिटिव आने पर कई बार लोग घबरा जाते हैं और स्ट्रेस में चले जाते हैं। इस बीमारी का इलाज बहुत आसान है इसलिए मरीज को घबराने की जरूरत नहीं है।

बच्चों के लिए अलग ट्रीटमेंट
IGMC के डॉक्टरों का कहना है कि TB में हर उम्र के लिए इलाज भी अलग होता है। बच्चों में TB के लक्षण पाए जाने पर उनकी अलग से किट तैयार की जाती है। उम्र और वेट के हिसाब से यह किट बनती है और पूरा इलाज फ्री में किया जाता है। इसके अलावा दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले मरीज जो हॉस्पिटल नहीं आ पाते उन्हें भी आशा वर्कर के जरिए दवाई पहुंचाई जाती है।

फ्री में होता है इलाज
IGMC के असिस्टेंट प्रोफेसर अमित सचदेवा का कहना है कि सरकार द्वारा हर हॉस्पिटल में TB के टेस्ट और इलाज मुफ्त है। इसमें बलगम की जांच, बुखार, खांसी, और भूख कम लगने के लक्षण पाए जाने टेस्ट किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पोषण योजना के तहत मरीजों को हर महीने 500 रुपए भी दिए जाते हैं ताकि पेशेंट अपने खाने का सही ध्यान रख सके। उन्होंने कहा TB के पेशेंट जो इलाज के लिए दूर दराज के इलाकों से आते हैं उनका आना जाना पूरी तरह से फ्री है।

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