राजस्थनी शिमला में स्थित है ऐतिहासिक 500 साल पुराना शिव मंदिर अंग्रेज भी यहां आकर करते थे पूजा अर्चना

शिमला। राजधानी के मॉल रोड  समीप मिडल बाजार में स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर में शिवरात्रि पर्व बड़े धूम -धाम से मनाया जायेगा। इसके लिए   मंदिर में सजाने का काम शुरू हो गया है। शिवरात्रि पर सैंकड़ो श्रद्धालु सुबह से ही लम्बी कतारों में लग कर शिवलिंग की पूजा अर्चना करते है।
यह मंदिर  सदियों पुराना ऐतिहासिक शिव मंदिर है । मान्यता के अनुसार यह मंदिर 500 साल पुराना है। यहाँ अंग्रेजो की राजधानी भी थी ऐसे में मालरोड के समीप स्थित होने के कारण यहाँ पर अंग्रेज भी आकर पूजा अर्चना करते थे। मंदिर में जो शिवलिंग है वह स्वयंभु है यानि जमीन से खुद प्रकट हुए थे। मंदिर में प्रतिवर्ष शिवरात्रि पर 4 पहर विशेष पूजा अर्चना होती है। मंदिर  में  शिवरात्रि पर मंदिर को विशेष रूप से सजाया जाता है और पहले  मंदिर में पूजा होती है उसके बाद लोगो के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए जाते है। मंदिर के पुजारी वासुदेब   ने बताया कि मदन गिरी नामक श्रद्धालु ने  1842 में मंदिर का निर्माण करवाया था उससे पहले शिवलिंग  खुले में था। उसके बाद समय -समय पर मंदिर का जिवरणोधर होता रहा और अब एक भब्य मंदिर बन गया है।
मान्यता के अनुसार जो भी श्रद्धालु सच्ची श्रद्धा से मंदिर में पूजा अर्चना करता है उसकी हर मनोकामा पूरी होती है।  शिवरात्रि  के अवसर पर यहाँ विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
शिवरात्रि व्रत पूजा कैसे करे–
पंडित वासुदेब ने बताया कि शिवपुराण की कोटिरुद्रसंहिता में बताया गया है कि शिवरात्रि व्रत का पालन करने से भोग और मोक्ष दोनों प्राप्त होते हैं। ब्रह्मा, विष्णु और पार्वती के पूछने पर भगवान सदाशिव ने बताया कि शिवरात्रि का व्रत करने से व्यक्ति को महान पुण्य की प्राप्ति होती है। मोक्ष प्रदान करने वाले चार संकल्पों का पालन करना चाहिए। ये चार संकल्प हैं – शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा, रुद्रों का जाप, शिव मंदिर में उपवास और काशी में काशी में देहत्याग। शिवपुरी में मोक्ष के चार अनन्त मार्ग बताए गए हैं। इन चारों में भी शिवरात्रि व्रत का विशेष महत्व है।
शिवरात्रि व्रत पूजा कैसे करे –
यह सभी के लिए धर्म का सबसे अच्छा साधन है। इस महान व्रत को सभी मनुष्यों, वर्णों, स्त्रियों, बच्चों और देवताओं के लिए बिना पाप के परम उपकारी माना गया है। हर महीने के शिवरात्रि व्रत में फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को होने वाले महाशिवरात्रि व्रत का शिव पुराण में विशेष महत्व है। और फाल्गुन मास की शिवरात्रि का विशेष महत्व है क्यो की इस दिन शिव विवाह हुआ था।

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