November 21, 2024

पोस्टमार्टम को लेकर आइजीएमसी हुआ नया शोध, डॉ राहुल गुप्ता ने बताई पोस्टमार्टम में चीरे की 5वी तकनीक 

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शिमला।प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में पोस्टमार्टम को लेकर एक नया शोध हुआ है। यह शोध फॉरेंसिक विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राहुल गुप्ता ने किया है शनिवार को डॉ राहुल गुप्ता ने एक पत्रकार वार्ता कर किए गए नए शोध के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 16वी ईस्वी से अब तक चार प्रकार के चीरा द्वारा पोस्टमार्टम किया जा रहा है उनका कहना था कि साधारण  पोस्टमार्टम पुलिस द्वारा करवाया जाता है जिसमें मौत के कारणों का पता लगाया जाता है इसमें जिन से लेकर पेट तक चीरा लगाया जाता है जिससे काफी खून निकलता है और कई प्रकार के तरल पदार्थ निकलते हैं जो कि बाद में इन्फेक्शन का कारण भी होता है उन्होंने कहा कि उन्हें काफी लंबे समय से इस पर शोध किया है और पांचवी प्रकार का चीरा लगाने की विधि खोज निकाली है जिससे खून कम निकलता है और इंफेक्शन होने का खतरा नही रहता।

आई.जी.एम.सी. फॉरेसि मैडिसन के एसोसिएट प्रोफेसर डा. राहुल गुप्ता द्वारा पोस्टमार्ट पर किया गया शोध पूरे बल्ड में पब्लिश हुआ है।
। शव से पोस्टमार्ट के बाद काफी खून बहता था और शमशानघाट तक दाह संस्कार के लिए शव ले जाना मुश्किल हो जाता था। अब शव को प्रोपर तरीके से भेजा जाता है। पोस्टमार्टम के लिए पहले 4 प्रकार से तो अब 5 प्रकार से चिरा लगाया जाता है। गुप्ता ने कहा कि इन दिनों दो कारणों से पोस्टमार्टम हो रहा है। इनमें एक पुलिस के द्वारा कोर्ट में बताने के लिए की मौत किन कारणों से हुई है और दूसरा बीमारी का पता लगाने के लिए किया जाता है। पोस्टमार्टम इसलिए करवाना जरूरी है कि बीमारी का पता चल सके। कई बार ऐसा देखा गया है कि अगर परिवार में 5 सदस्य है तो कुछ बीमारी ऐसी है जो एक से दूसरे में फैलती है। अगर बीमारी का पता चल सके तो फिर उसका उपचार करवाया जा सकता है। पोस्टमार्टम को लेकर भ्रांतिया नहीं फैलानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत मे अभी बीमारी का पता लगाने के लिए बहुत कम पोस्टमार्टम किया जाता है इसका कारण है की लोग शव को  कटा फ़टा देख कर डर जाते है और कई लोगो की मान्यता है कि यदि पूरे शव का अंतिम संस्कार नही किया जाता तो शांति नही मिलती है ।उनका कहना था इसी को ध्यान में रख कर उन्होंने यह नई खोज की है।
40 साल से कम उम्र की महिलाओं में हो रहा ब्रेस्ट कैंसर
डा. राहुल गुप्त ने कहा कि हिमाचल में 40 साल से नीचे वाली महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की शिकार हो रही है। बे्रस्ट कैंसर होने का मुख्य कारण जब किसी महिलाओं के स्तन की कोशिकाओ का विकास असामान्य रूप से हो जाता है, तो यह स्तन कैंसर का कारण बन सकता है और कुछ महिलाओं में स्तन कैंसर का कारण उनके शरीर में होने वाले हॉर्मोन बदलाव हो सकते हंै। महिलाओं को अपने समय समय पर टैस्ट करवाने अनिवार्य है। ताकि ब्रेस्ट करने से बच सके। आई.जी.एम.सी. में उपचार के पूरे साधन है महिलाओं को समय से अपना उपचार करवाना चाहिए।
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