ज्ञान बिज्ञान ओर प्रज्ञा की परम्परा भारत की पहचान साहित्यकार व ऋषि मुनि ने दी समाज को नई दिशा

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शिमला। राजधानी में चल रहे साहित्य उत्सव वे शनिवार को आरिफ मोहम्मद खान ने शिरकत की उन्होंने कहा कि ज्ञान विज्ञान और प्रज्ञा यह भारत की परंपरा रही है और यही पहचान रही है और जब भी हम इससे से दूर गए है पतन हुआ है उनका कहना था कि पतन के टाइम में हम इस से दूर रहें उन्होंने कहा कि हमें अपनी पहचान को खोना नहीं है उन्होंने कहा कि साहित्यकार और ऋषि मुनि ने ही समाज को नई दिशा दी है उनका कहना था कि राजा महाराजा और आर्मी के बड़े चीफ ने कभी समाज को दिशा नहीं दी है उनका कहना था कि साहित्यकार और ऋषि मुनि ही समाज में नई दिशा दे सकते हैं उन्होंने कहा कि ऐसे साहित्यिक आयोजन से लोगों में चेतना जागृत की जा सकती है जिसे समाज को एक सूत्र में बांधा जा सके और नई दिशा दी जा सके उनका कहना था कि 75 साल पहले भारत का बटवारा हुआ जो एक सांप्रदायिक राजनीति थी और अभी तक उसके प्रभाव पड़ रहे हैं हमें समाज को एक सूत्र में बांधने के लिए प्रयास करना चाहिए और साहित्य कहां रहे समाज को नई दिशा दी कर एक सूत्र में बांध सकते हैं उनका कहना था कि विचारों की अभिव्यक्ति पर कभी प्रतिबंध नहीं लगा है साहित्य का एक स्वतंत्र होता है उसकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होती है उस पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है उनका कहना था कि साहित्यिक संगम से पुनर चेतना आम आदमी तक पहुंचाई जा सकती है जिससे वह नफरत की भावना खत्म कर एकता बनाने में सफल रहे उनका कहना था कि भारतीय सभ्यता की शुरुआत नारी शक्ति के साथ ही है नारी शक्ति के पूजन से हमारी सभ्यता आगे बढ़ी है और प्राचीन से ही नारी शक्ति का महत्व रहा है उनका कहना था कि भगवान कृष्ण में भी नारी शक्ति थी बिना नारी शक्ति के वह आगे नहीं बढ़ सके थे

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