शिमला।मंत्र के एक शब्द से बड़ी से बड़ी समस्या, कष्ट व रोग का निवारण सहज ही हो जाता है। इसमें इतनी शक्ति होती है जिसका अंदाजा आधुनिक विज्ञान नहीं लगा सकता। बड़ी से बड़ी महामारी व शक्तिशाली मृत्यु प्रदान करने वाले कीटाणुओं का विनाश भी मंत्र के शब्द से संभव है। इसे न केवल भारत अपितु अरब देशों ने भी मान लिया है। उन्होंने स्वयं मंत्र का पाठ किया और वे केवल 3 मिनट में ही अपनी समस्याओं, कष्टों व दुखों से मुक्त हो गए। अबू धाबी यूएई में आयोजित महासम्मेलन में सम्मिलित समस्त विश्व के धार्मिक विद्वानों, डाक्टरों, वैज्ञानिकों और मंत्रीगणों ने इसका अनुभव किया है। स्वयं प्रेसीडेंट डा. अल जबेर ने कहा कि सभी प्रतिनिधियों ने मात्र बोला है लेकिन श्री कुमार स्वामी जी ने प्रेक्टिकल करके दिखाया है-ये उद्गार महाब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी ने होटल पीटर हॉफ में श्रद्धालुओं से खचाखच भरे समागम में व्यक्त किए। इसके बाद उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस भी की।
मां दुर्गा के परम शक्तिशाली पाठ को ग्रहण करने के लिए श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। महाब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी जी ने श्रद्धालुओं को अवधान के माध्यम से तत्क्षण दुखों से मुक्त कर दिया। समागम में श्रद्धालुओं के अनुभव सुनकर वहां उपस्थित डाक्टर, वैज्ञानिक और बुद्धिजीवी हैरान रह गए। समागम में सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों, ध ार्मिक संस्थाओं के विद्वानों, प्रशासनिक अधिकारियों व राजनीतिक क्षेत्र से संबंधित गणमान्य लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर प्रभु कृपा ग्रहण की। समागम में आए श्रद्धालुओं के लिए अनवरत रूप से लंगर चलता रहा।
परम पूज्य ब्रह्मपि श्री कुमार स्वामी जी ने कहा कि यूएई में जब अवधान महायोग करवाया गया तो विश्व भर से आए धर्मगुरु, डाक्टर, वैज्ञानिक और सरकारों के प्रतिनिधि अपार ऊर्जा से भर गए। अवधान महायोग ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से तनाव और डिप्रेशन से मुक्त कर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसी मानसिक प्रसन्नता और संतुष्टि उन्हें कभी नहीं प्राप्त हुई। अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में आए धर्मगुरुओं, डाक्टरों और वैज्ञानिकों ने जब देखा कि सनातन पुरातन रहस्यों से हर प्रकार के रोगों और समस्याओं का समाधान हो सकता है तो वे अवाक रह गए। अमेरिका और यूरोपीय देशों से आए डाक्टरों ने कहा कि वे खुद हजारों लोगों के मेडिकल प्रमाण देख चुके हैं कि किस तरह उनके वे रोग दूर हो गए जिनका समाधान मेडिकल साइंस के पास भी नहीं था। विश्व के अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देश किसी भी विचारधारा को तब तक नहीं मानते जब तक कि वे तथ्यपरक अनुभव से न गुजरें। उन्होंने भी बीज मंत्रों को मान्यता दे दी है।
महाब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी जी ने कहा कि जो व्यक्ति उत्कील, परिहार पाठ करता है, मां दुर्गा उसके सारे दुख दूर कर देती है। दुनिया में ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान मां दुर्गा के इस पाठ न हो। पाठ करने वाले के लिए संसार में कुछ भी दुर्लभ नहीं रह जाता है। मां दुर्गा का यह पाठ गायत्री मंत्र व सभी देवताओं के मंत्रों से करोड़ों गुणा शक्तिशाली है। इसके जाप करने से व्यक्ति वेदवेत्ताओं में श्रेष्ठ तथा ब्रह्मा के समान हो जाता
है। केवल मां दुर्गा के पाठ से ही गरीबी व दरिद्रता दूर होती है। दुर्गा सप्तशती में मां ने कहा है कि मैं आनन्द और आनन्दरूपा हूं अर्थात इनके द्वारा ही आनन्द प्राप्त होता है। जिसे हम आनन्द कहते हैं मां स्वयं ही हैं। इनकी कृपा से साधक को आनन्द की प्राप्ति होती है। मां कहती हैं कि मैं विज्ञान व अविज्ञानरूपा हूं। जितना भी अध्यात्म है, वह ही विज्ञान है। जिसे हम विज्ञान कहते हैं वह केवल ज्ञान है अतः जो अध्यात्म है वह विज्ञान है तथा जो तथाकथित आधुनिक विज्ञान है, वह अविज्ञान कहलाता है। लेकिन मां कहती है कि ये दोनों ही मैं हूं क्योंकि दोनों का अपना-अपना महत्व है। एक के द्वारा भौतिक सुख-साधन प्राप्त होते हैं तथा दूसरे के माध्यम से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का प्रारूप प्राप्त होता है। प्रकृति व प्रकृति से भिन्न अर्थात् अजा व अनजा भी मैं ही हूं, ऊपर-नीचे, अगल-बगल भी मैं ही हूं। मां स्पष्ट रूप से कह रही हैं कि मैं हर जीव के बिल्कुल निकट हूं। दुर्गासप्तशती में भगवती मां दुर्गा कहती हैं कि मैं सर्वशक्तिमान तथा सर्वव्यापक हूं।
महाब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी जी ने कहा कि मां दुर्गा ने ही भगवान विष्णु को पालन कार्य के लिए नियुक्त किया, भगवान ब्रह्मा को सूजन कार्य के लिए तथा भगवान शिव को संहार करने के लिए नियुक्त किया है। मां दुर्गा की शक्ति से ही ये त्रिदेव कार्य करते हैं। भगवान शिव ने कहा है कि सभी पाठों के जपजन्य पुण्य समाप्त हो जाते हैं लेकिन मां दुर्गा के पाठ का जपजन्य पुण्य कभी समाप्त नहीं होता। जो व्यक्ति कृष्णपक्ष की अष्टमी और चतुर्दशी को अपना सब कुछ मां दुर्गा के चरणों में समर्पित करके फिर प्रसाद रूप में ग्रहण करता है, वह मां की कृपा का पात्र बन जाता है। अमेरिका जैसे वैज्ञानिक देश में वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाली न्यूजर्सी सीनेट तथा जनरल असेंबली ने बीज मंत्र की शक्ति को मान्यता प्रदान कर दी है। वहां बीज मंत्रों की शक्ति पर व्यापक रिसर्च हुआ है और अंततः इसकी शक्ति को स्वीकार भी किया गया है। जहां बीज मंत्रों के प्रभाव को नकारा जाता था और कहीं-कहीं तो उपहास उड़ाया जाता था, आज उसी देश में लाखों की संख्या में भाई-बहन मां दुर्गा की कृपा का पाठ कर रहे हैं और लाभान्वित भी हुए हैं। उनके द्वारा बताए गए तथ्यगत अनुभवों से यह प्रमाणित होता है। भगवान श्री लक्ष्मी नारायण धाम के महासचिव श्री सुशील वर्मा ‘गुरुदास’ जी ने कहा कि भारतीय सनातन शक्ति और संत परंपरा का पूरे विश्व में सम्मान हो रहा है। यूएई के अबू धाबी में विश्व की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्था यूनाइटेड नेशन और मुस्लिम काउंसिल
आफू एल्डस द्वारा 6-7 नवंबर 2023 को आयोजित इंटरनेशनल सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले परम पूज्य महाब्रह्मर्षि श्री कुमार स्वामी जी ने कहा कि इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि सम्मेलन में आए मुस्लिम देशों के धर्म गुरुओं ने भारत की सनातन संस्कृति का जयघोष किया। विश्व की सबसे बड़ी मुस्लिम काउंसिल के अतिरिक्त यहूदी, ईसाई और इब्राहिम धर्म के विख्यात धर्माचायों को जब ईश्वर की एकरूपता का साक्षात्कार करवाया गया तो वे आश्चर्य से भर गए। सभी ने एक स्वर में माना कि उन्होंने अपने जीवन में पहली बार परमात्मा और खुदा की रहमत को जाना है। इस महासम्मेलन में आए हुए सभी प्रतिनिधियों ने परम पूज्य महाब्रह्मर्षि जी को ध्यानपूर्वक सुना और प्रशंसा भी की।
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