शिमला। छोटा शिमला स्थित केंद्रीय तिब्बती स्कूल को केंद्र सरकार द्वारा तिब्बतियों को दिए जाने का स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के परिजनों ने कड़ा विरोध किया है उनका कहना है स्कूल में मात्र 14 तिब्बती बच्चे पढ़ते हैं जबकि भारत के 384 बच्चे पढ़ रहे हैं इसके बाद भी केंद्र सरकार यह स्कूल तिब्बतियों को सौंप रहा है जिसका जिसका खामियाजा स्कूल में पढ़ने वाले भारतीय बच्चों को पड़ेगा परिजनों ने सरकार से मांग की है कि यह स्कूल तिब्बती को ना दिया जाए इस संबंध में छोटा शिमला के पीटीए एसोसिएशन के पूर्व प्रधान पूर्ण चंद्र ने कहा कि सरकार का यह फैसला पूर्णता गलत है तिब्बती स्कूल को विदेशों के हवाले करना उनका कहना था स्कूल में मात्र 14 तिब्बती बच्चे पढ़ते हैं जबकि 384 भारतीय बच्चे पढ़ रहे हैं ऐसे में तिब्बत को यह स्कूल देना गलत है क्योंकि इसमें पढ़ने वाले 384 भारतीय बच्चों को नुकसान उठाना पड़ेगा उनका कहना था जब यह स्कूल तिब्बती को सौंप देंगे तब तिब्बत के अपने अध्यापक रखेंगे जिसस भारतीय बच्चों को पढ़ना मुश्किल हो जाएगा उन्होंने कहा कि हिमाचल में केंद्र सरकार 7 तिब्बती स्कूल चला रहा था जिसमें से पांच पहले ही तिब्बती को दे चुके हैं अब दो डलहौजी और शिमला में तिब्बती स्कूल को भी तिब्बती को दिया जा रहा है जिसका परिजन विरोध कर रहे हैं उन्होंने कहा है कि यदि यह स्कूल तिब्बती को सौंपते हैं तू परिजन मुख्यमंत्री के पास जाएंगे उसके बाद कोर्ट का दरवाजा खट खट आएंगे इसी मुद्दे पर पीटीए के प्रधान मंजू ने बताया कि यह सरासर गलत कर रही है सरकार उनका कहना था इससे गरीब छात्रों पर मार पड़ेगी उन्होंने कहा स्कूल में गरीब छात्र ही पढ़ते हैं अगर केंद्र सरकार तिब्बती को सौंप देगी तो इससे भारतीय छात्रों को पढ़ना मुश्किल हो जाएगा उन्होंने इसका विरोध किया है उनका कहना था यदि सरकार मांगे नहीं मानेगी तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा एक अन्य परिजन ने भी केंद्रीय तिब्बती स्कूल का तिब्बती को सौंपने का कड़ा विरोध किया है उनका कहना था क्यों भारत की जमीन है और इसे विदेशों को देना गलत है उनका कहना था कि हिमाचल में धारा 118 के तहत बाहरी लोगों को यहां की जमीन नहीं दिया जा सकता लेकिन इसके बाद भी सरकार यह स्कूल तिब्बती को सौंप रही है और यही नहीं ऊपर से सारा खर्चा भारत सरकार उठा रही है जो कि एक गलत है परिजनों ने इसका कड़ा विरोध किया है
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