, शिमला आइजीएमसी में दो दिवसीय काार्यशाला नवजात शिशुओं को स्वस्थ पैदा कैसे किया जा सकता है। इस पर मंथन किया गया। बच्चों में गर्भ के भीतर किसी तरह की छोटी या बड़ी बीमारी तो विकसित नहीं हो रही है, बच्चे की ग्रोथ सही हो रही है ,इसे कैसे पता लगाया जा सकता है। इस पर मंथन किया। इसमें चिकित्सकों ने बताया कि बच्चों की बीमारी का जितनी जल्दी पता लगेगी। उतनी ही जल्दी उसका इलाज किया जा सकेगा,. इसलिए समय पर अल्ट्रासाउंड करवाना हर गर्भवती महिला के लिए अनिवार्य है। अल्ट्रासाउंड के माध्यम से जल्द ही बच्चे में आ रही कमी या किसी बीमारी का पता लगाया जा सकता है। यदि भ्रूण असामान्य है तो उसकी जानकारी उसके माता पिता को दी जा सकती है। इसके अलावा कई बीमारियों की पहचान कर , इसे प्रसव से पहले ही दुरूस्त करने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं।
डाक्टर अनुपम झोबटा ने कहा कि इस कार्यशाला में गर्भ में बच्चे की अल्ट्रासाउंड से जांच करनी है। बच्चे में किसी प्रकार की कोई कमी है तो उसको समय रहते दूर किया जा सकता है। बच्चे की कमी व उसकी ग्रोथ को देखना हो तो भी ये जरूरी है। हर महिलाओं का अल्ट्रासाउंड करना जरूरी होता है। इस कार्यशाला में यह बताया जाएगा कि हम कैसे ही दो तीन महीने में ही बच्चे की बीमारी का पता कर सकते है।
डाक्टर विवेक कश्यप ने कहा कि अल्ट्रासाउंड के माध्यम से हमें बच्चे की कमी के बारे में पता करना है। बच्चे में दो तरह की कमी होती है। एक मेजर व माइनर होते है। अगर बच्चे में किसी प्रकार का माइनर कमी है तो उसको ठीक किया जा सकता है। हमारे पास आज बहुत सारी टेक्नोलॉजी है, जिससे इसका पता किया जा सकता है।
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