December 21, 2024

कांग्रेस को स्पष्ट करना चाहिए कि उनका यह सत्याग्रह किसके खिलाफ : डॉ सिकंदर

शिमला, राज्यसभा सांसद डॉ सिकंदर कुमार और इंदु गोस्वामी ने कहा की राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने सत्याग्रह सामाजिक न्याय के लिए शुरू किया था, भेदभाव मिटाने के लिए किया था, देश की आजादी के लिए किया था जबकि कांग्रेस सत्याग्रह निजी स्वार्थ सिद्धि के लिए कर रही है। कांग्रेस के नेता यह सत्याग्रह उनके नेता के सजायाफ्ता होने के बाद न्यायालय के खिलाफ करते दिख रहे हैं।
उन्होंने कहा की राहुल गाँधी को सूरत की एक अदालत ने देश के ओबीसी वर्ग के खिलाफ उनकी अपमानजनक टिप्पणी को लेकर उचित कानूनी प्रक्रिया के बाद दोषी ठहराया और लोकसभा सांसद के रूप में उन्हें अयोग्य ठहराया जाना संबंधित कानून के तहत स्वत: परिणाम है, तो फिर ये सत्याग्रह किस लिए?
कांग्रेस को स्पष्ट करना चाहिए कि उनका यह सत्याग्रह किसके खिलाफ है। क्या कांग्रेस का सत्याग्रह राहुल गाँधी द्वारा देश के पूरे पिछड़े समुदाय के लिए कहे गए अपमानजनक बातों को सही ठहराने के लिए है या अदालत के खिलाफ जिसने आपको सजा सुनाई है, या देश के संविधान के खिलाफ है या फिर उस प्रावधान के खिलाफ जिसके तहत आपको अयोग्य ठहराया गया है?
संपूर्ण लोकतंत्र के प्रति अपमानजनक टिप्पणी करने वाले लोग, सत्याग्रह के नाम पर महात्मा गांधी जी की समाधि पर जो कर रहे हैं, उसमें सत्य के प्रति कोई आग्रह नहीं, बल्कि अहंकार का दुराग्रह निर्लज्जता के साथ दिख रहा है। जो भी हुआ वह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा था। संसद का पुराना नियम था जिसके तहत सदस्यता गई। ये लोग न्यायालय के प्रति दुराग्रह कर रहे हैं।
उन्होंने कहा की महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के लिए सत्याग्रह किया लेकिन बापू की समाधि पर कांग्रेस ने सत्य और अहिंसा, दोनों को तिलांजलि दे दी। इस सत्याग्रह में सबसे पहुँचने वाले लोगों में थे जगदीश टाइटलर जो सिख भाइयों के नरसंहार के आरोपी हैं। कांग्रेस को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या राजघाट में महात्मा गांधी के समाधि स्थल पर आयोजित उनका सत्याग्रह भी ‘अहिंसा’ के खिलाफ था। यह सत्याग्रह बापू का अपमान है।
उन्होंने कहा कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता, सांसद और सदन में कांग्रेस के उप-नेता प्रमोद तिवारी कह रहे हैं कि गाँधी परिवार के लिए अलग क़ानून होना चाहिए। वे कह रहे हैं कि परिवार की पृष्ठभूमि देख कर अदालत को फैसला करना चाहिए। मतलब कांग्रेस का सत्याग्रह देश में दो संविधान के लिए है। वह चाहती है कि देश की आम जनता के लिए एक संविधान हो और कांग्रेस परिवार के लिए अलग संविधान हो। कांग्रेस परिवार अपने को देश और देश के संविधान, दोनों से ऊपर मानती है। हमने कांग्रेस में दो प्रधान भी देखा है, दो विधान भी देखा है। जहाँ तक परिवार की पृष्ठभूमि की बात है तो इंदिरा गाँधी जी के खिलाफ भी न्यायालय में दोष सिद्ध हुआ था, स्वर्गीय राजीव गांधी जी का नाम भी बोफोर्स घोटाले में आया था। राहुल गाँधी जी स्वयं भ्रष्टाचार के मामले में जेल सेबेल बेल पर हैं तो फिर आप किस पृष्ठभूमि की बात कर रहे हैं?
प्रियंका वाड्रा द्वारा परिवार की राजनीति में भगवान् श्रीराम और पांडवों को घसीटना अत्यंत दुखद है। बापू का भजन था रघुपति राघव राजा राम, पतित पवन सीता राम। बापू का अंतिम शब्द था – हे राम!,और कांग्रेस की सरकार ने तो भगवान् श्रीराम को ही काल्पनिक कह दिया था। ये तो प्रभु श्रीराम के मंदिर के खिलाफ खड़े थे। कांग्रेस की बुद्धि भ्रमित हो गई है। प्रभु श्रीराम ने समग्र जगत के कल्याण के लिए मानव शरीर धारण किया था।
असत्य के पक्ष में खड़े हुए अपने भाई का साथ देना प्रभु श्रीराम की नहीं, रावण की परंपरा है क्योंकि कुंभकरण ने यह जानते हुए भी कि उसका भाई गलत था, अपने भाई रावण का साथ दिया। उसके ठीक विपरीत पांडव अपने भाइयों के विपरीत खड़े थे क्योंकि उन्हें पता था कि वह सत्य के पक्ष में नहीं है। प्रियंका वाड्रा जो तुलना कर रही हैं, उसमें वह अनायास ही कांग्रेस को कौरवों और रावण की परंपरा से जोड़ रही हैं। कांग्रेस को इस ज्ञान पर पुनर्विचार करना चाहिए।
भारत के पिछड़े समाज के प्रति ऐसा दुराग्रह और जिस बेशर्मी से उसका समर्थन कर रहें है, ईमानदारी से तो देश की जनता से उन्हें माफी मांगनी चाहिए थी। इतना बड़ा बयान और देश की पिछड़ी जाति का अपमान यदि किसी और ने किया होता तो ये देश में आग लगा देते।
राहुल गांधी कानून का सम्मान नहीं करते हैं। अगर उन्होंने पिछड़े समाज के खिलाफ अपनी अपमानजनक टिप्पणी को लेकर माफी मांग ली होती तो शायद उन्हें आज इस स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता। राहुल गांधी को साल 2019 के दौरान चौकीदार चोर है, के बयान को लेकर सुप्रीम कोर्ट से लिखित में माफी मांगनी पड़ी थी, लेकिन इसके बावजूद राहुल अपनी हरकतों से बाज नहीं आए।
कांग्रेस पार्टी खुद को अदालत के न्यायिक न्यायशास्त्र से ऊपर मानती है। और वे तय करेंगे कि अदालत किस तरह और किस आधार पर अपना फैसला सुनाए। ईमानदारी तो यह कहती थी कि आपको क्षमा याचना करनी चाहिए थी और दुख की बात यह है कि ये जितने भी खुद को पिछड़े और दलितों के अलंबरदार बनते हैं वो अचानक मौन साधना में क्यों चले गए हैं?
प्रियंका वाड्रा कहती हैं कि इस देश के लोकतंत्र को मेरे परिवार ने खून से सींचा है लेकिन हमें तो इतिहास में पढ़ाया गया था कि गांधी जी ने बिना खून बहाए देश को आजादी दिलाई थी। कांग्रेस पहले तय कर ले कि कौन से कांग्रेस के लोगों ने खून बहाया? क्या स्वतंत्रता आंदोलन में किसी बड़े कांग्रेस नेता ने गोली खाई, कालापानी की सजा पाई या लाला लाजपतराय को छोड़ कर अध्यक्ष स्तर के किसी नेता ने लाठी भी खाई?
हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के ऊपर कांग्रेस नेताओं ने कितना विष वमन किया, भाजपा के खिलाफ कितना बोला, हमारे नेताओं के खिलाफ कितना बोला लेकिन हम धैर्यपूर्वक सहते रहे लेकिन जब आप भारत और पिछड़े समाज के खिलाफ घृणा फैलायेंगे और अदालत द्वारा आपको सजा मिलेगी तो आप सत्याग्रह करेंगे और अपनी बातों को सही ठहराएंगे! इसमें तो मुझे उद्दंडता और निर्लज्जता दोनों नजर आती है।

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