November 21, 2024

हिमाचल में नशेड़ी युवा वर्ग सीरिंज का प्रयोग कर एड्स फैलने को दे रहे खुला न्यौता

शिमला :एड्स जानकारी ही बचाव है यह नारा काफी लंबे समय से चला आ रहा बाबजूद इसके लोग इसके चपेट में आ रहे है ।हिमाचल में 5332 एड्स से पीड़ित मरीज 3  सेंटर में अपना इलाज करवा रहे है। इसमे युवा व बच्चे भी शामिल है
यह खुलासा एड्स कंट्रोल सोसाइटी द्वारा किया गया है
।हिमाचल सरकार ने यह ब्यवस्था की है कि कोई भी ब्यक्ति अपनी जांच सरकारी अस्पताल में निशुल्क करवा सकता है और पीड़ित होने पर उसका ईलाज निशुल्क किया जाएगा और अस्पताल आने जाने का खर्चा भी सरकार देगी।
आइजीएमसी में अभी तक 920 मरीज अपना ईलाज करवा रहे है जिसमे 514 पुरूष, 350 महिला , 28  बच्चे ,27 बच्चियां ,1 ट्रांसजेंडर अपना इलाज करवा रहे है। हिमाचल में 52 सेंटर में टेस्टिंग की सुविधा है जबकि 3 सेंटर आइजीएमसी ,टांडा, हमीरपुर में एआरटी सेंटर है जहाँ पर ईलाज किया जाता है।
एनएचएम के डिप्टी एमडी डॉ गोपाल बेरी ने बताया कि
 हिमाचल में नशेड़ी युवा वर्ग सीरिंज का प्रयोग कर एड्स फैलने को खुला न्यौता दे रहे हैं। इसका खुलासा एड्स कंट्रोल सोसाइटी की रिपोर्ट में हुआ है। बताया जा रहा है कि इन दिनों युवा वर्ग सीरिंज के माध्यम से तरह तरह के नशे का प्रयोग कर रहे हैं। वैसे तो हिमाचल में सभी प्रकार के लोगों के एड्स की बीमारी देखी गई है, लेकिन युवा लोगों में ज्यादा लक्षण दिखाई दे रहे हैं।
एड्स एक गंभीर समस्या बनी हुई है। पीछले साल की अपेक्षा इस बार प्रदेश में एड्स के मामलों में जरूर कमी आई है, फिर भी वर्तमान में 52 सैंटरों में 5332 लोग एड्स की दवाइयां ले रहे हैं।
  ए.आर.टी. सैंटर की अगर बात की जाए तो यहां कुछ बच्चों के नाम दर्ज हुए हंै, जिनमें एड्स की बीमारी फैली हुई है। बच्चों में एड्स का मुख्य कारण यह है कि मां अगर सुरक्षित नहीं है तो बच्चों में एड्स होना बिल्कुल तय है। अगर किसी बच्चे की मां एड्स से पीड्ति है और वह समय से अपना इलाज नहीं करवाती है तो बच्चों में एड्स होने की अधिक संभावना होती है। इसलिए चिकित्सकों द्वारा यही तर्क दिया जा रहा है कि महिलाओं को जैसे ही एड्स के लक्षण दिखते है तो वे समय से अस्पताल जाकर अपना चैकअप करवाए। प्रदेश भर में कुल क्त्त् से अधिक ब्लड  बैंक काम कर रहे हैं और यहां पर हर साल रक्तदान शिविर भी लगाए जाते हैं। ब्लड बैंक द्वारा लगाए गए इन शिविरों में डोनर की काउंसलिंग भी की जाती है। इसके अतिरिक्त आई.जी.एम.सी. और टांडा में एड्स संक्रमण के इलाज के लिए एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी भी चल रही है। जहां पर इलाज की बेहतर व्यवस्था की गई है। प्रदेश में हर वर्ष लगभग तीन लाख से अधिक लोगों की एचआईवी जांच की जा रही है। लोगों के लिए यह  बेहतर रहेंगा की वह नशा से दूर रहे। इससे एड्स की संभावना अधिक रहती है। वहीं निरोध का इस्तेमाल करें, ताकि एड्स फैलने की कम संभावना हो।
इन दिनों युवा लोगों ने टैटू बनाना एक फैशन बनाया हुआ है। टैटू बनाने वाले जरा ध्यान दें कि जो सीरिंज इसमें इस्तेमाल होती है वह क्या सही है या नहीं। चिकित्सकों की माने तो यह अगर यह सीरिंज ठीक नहीं है तो एड्स फैलना तय है। टैटू बनाने वाले काफी लोगों में एड्स के लक्षण सामने आए है।
स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाईटी की तरफ से ऊना, बिलासपुर, मंडी, टांडा, शिमला, हमीरपुर सहित अन्य जिलों में ए.आर.टी. सैंटर खोले गए हैं। जहां पर एड्स से पिडि़तों में निशुल्क दवाईयां दी जाती है। यहां सबसे बड़ी बात तो यह है कि सोसायटी की तरफ एड्स से पीडि़त मरीजों को घर से आने व जाने का खर्च भी दिया जाता है। मरीजों के लिए यह राहत दी है। अपनी जेब से इलाज के लिए एक रूपए भी खर्च नहीं करना पड़ेगा।
एड्स एच.आई.वी. मानव की रोधन क्षमता को कमजोर करने वाला वायरस से होता है, जो कि शरीर की रोधन क्षमता पर प्रहार करता है, जिसका काम शरीर को छूत या संक्रामक रोगों से बचाना होता है। इस सुरक्षा कवच के बिना एड्स वाले लोग भयानक छूत के रोगों और कैंसर आदि से पीडि़त हो जाते हैं। एक संक्रमित व्यक्ति से एच.आई.वी. के छूत दूसरे व्यक्ति स्राव अथवा रक्त के देने लेने से पहुंचती है। यह एक इंजैक्शन की सीरिंज का दूसरे व्यक्ति के लिए प्रयोग करने से और एक संक्रमित मां से उसके बच्चे को जन्म या उसके आसपास के समय में पहुंचाता है। हालांकि मौखिक संभोग से भी संक्रमण की संभावना रहती है परंतु औरत या पुरूष के साथ असुरक्षित यौन संबंध रखने से भी खतरा होता है वह कहीं अधिक रहता है।
एड्स से बचने के लिए यह करें उपाय
अपने साथी से वफादार रहे, ज्यादा व्यक्तियों के साथ यौन संबंध नहीं बनाने चाहिए, यौन संबंध बनाने पर निरोध का प्रयोग करना चाहिए, अगर बाहर शेब बनाते है तो हमेशा ही नए ब्लेड का प्रयोग करना चाहिए, अस्पताल में इंजैक्शन लगाते बार नए सीरिंज का प्रयोग करना, अगर अस्पताल में खून चढ़ाने की जरूरत पड़ जाए तो पहले पूरी तरह स्पष्ट हो जाए कि जो खून आपको चढ़ाया जा रहा है वह किसी रोग से ग्रस्त तो नहीं है।
यह है एड्स के लक्षण
एड्स के लक्षण ऊर्जा की कमी, वजन घटना, बार-बार बुखार और पसीना, देर तक या बार बार होने वाली फंगल की छूत, देर तक रहने वाला डॉयरिया, कुछ समय के लिए विस्मृति, मुख जननेन्द्रिय और गुर्दा में फोड़े, खांसी और श्वास फूलना।
आज मनाया जाएगा एड्स दिवस
आज पूरे प्रदेश में एड्स दिवस मनाया जाएगा। इस उपलक्ष्य पर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। लोगों को इसमें अधिकारियों द्वारा जानकारी दी जाएगी की इस बीमारी से कैसे बचना है और इससे रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए।
डॉ गोपाल बेरी ने बताया कि
हिमाचल की स्थिति बाकी राज्य से बेहतर है, क्योंकि विभाग द्वारा विभिन्न संस्थाओं के साथ मिल कर जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं। प्रदेश में पीछले साल की अपेक्षा इस बार कमी आई है। विभिन्न कार्य्रकमों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है। लोगों से अपील की जाती है कि वह स्वयं भी इस बीमारी से बचकर रहे। युवा लोग नशे से बचे व असुरक्षित सीरिंज का इस्तेमाल करने से बचें। अस्पतालों में संक्रमित रोगियों का इलाज निशुल्क होता है। लोगों लक्षण दिखाई देने पर अपना शीघ्र उपचार करवाएं। जल्द ही हिमाचल एड्स मुक्त होगा।

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