शिमला:. कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह ने बताया कि गंभीर स्थिति को देखते हुए केंद्र से हिमाचल को सूखा ग्रस्त राज्य घोषित करने की मांग की गई, ताकि किसानों-बागवानों की मदद की जा सके. इसके अलावा पेयजल की किल्लत भी दूर की जा सके.
जल शक्ति मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से चर्चा के बाद इस मामले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाया जाएगा और सूखे के सर्वेक्षण के लिए केंद्र से जल्द टीम को भेजने के लिए अनुरोध किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस समय प्रदेश में पेयजल की 550 से अधिक योजनाएं प्रभावित हो चुकी.उन्होंने प्रमुख अभियंता से सभी अधीक्षण अभियंताओं से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों की रिपोर्ट तलब की ,जो क्षेत्र सबसे अधिक सूखे की चपेट में है.हैंड पंप लगाने की योजना तैयार: महेंद्र सिंह ने बताया हैड पंप लगाने के लिए सरकार ने योजना तैयार की गई है. जियोलॉजिकल सर्वे करवाया जाएगा और वहां पर हैंडपंप लगाने की योजना तैयार की गई, ताकि लोगों को पानी की वैकल्पिक व्यवस्था करवाई जा सके. उन्होंने कहा सभी अधिकारियों से इस दिशा में काम करने को कहा गया हैं.
बारिश नहीं होने से कृषि और बागवानी क्षेत्र भी सूखे से अछूते नहीं रहे हैं. प्रदेश का 60 प्रतिशत कृषि क्षेत्र प्रभावित हुआ. खासकर गंदम की फसल पर सूखे की अधिक मार पड़ी. गेहूं के दाने का साइज़ नहीं बढ़ने के कारण किसानों की चिंता बढ़ने लगी है. बागवानी क्षेत्र की बात करें तो सेब पर ड्रॉपिंग का खतरा बढ़ गया है.7 हज़ार फ़ीट तक कि ऊंचाई वाले बगीचों में इसका अधिक असर देखने को मिल रहा.अब अगर समय पर बारिश ना हुई तो 8 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर लगे बगीचे भी ड्रॉपिंग की चपेट में आ सकते हैं. इन सब हालातों को देखते हुए सरकार की चिंता बढ़ गई और वो लोगों को राहत दिलाने के लिए केंद्र से प्रदेश को सूखा ग्रस्त राज्य घोषित करवाने की तैयारी में हैं. इसके लिए राजस्व मंत्री ने अपने फील्ड के सभी अधिकारियों से सूखे से हुए सभी तरह के नुकसान की रिपोर्ट तलब कर दी है.
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