हिमाचल की सांस्कृतिक विरासत को मिले सम्मान — सिरमौरी ‘लोइयां’ और ‘डांगरा’ को GI टैग दिलाने हेतु हाटी विकास मंच ने HIMCOSTE को सौंपा ज्ञापन

 

शिमला।हाटी विकास मंच हिमाचल प्रदेश द्वारा आज एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी कदम उठाते हुए हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद (HIMCOSTE) को एक ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें सिरमौर जनपद की दो अनूठी पारंपरिक धरोहरों — ‘सिरमौरी लोइयां’ एवं ‘डांगरा’ — को भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication – GI) टैग प्रदान करने की मांग की गई है।
यह ज्ञापन मंच के अध्यक्ष प्रदीप सिंह सिंगटा द्वारा HIMCOSTE के माननीय अध्यक्ष, सचिव व अन्य सदस्यों को प्रेषित किया गया, जिसमें बताया गया कि ये दोनों वस्तुएँ न केवल हाटी जनजातीय समुदाय की सांस्कृतिक अस्मिता का प्रतिनिधित्व करती हैं, बल्कि उनकी परंपरागत जीवनशैली, हस्तकला और इतिहास की अमूल्य धरोहर भी हैं।

सिरमौरी लोइयां – एक विलुप्त होती कला
‘लोइयां’ एक पारंपरिक ऊनी चादर है, जिसे सिरमौर जिले की हाटी जनजाति द्वारा हाथ से बुना जाता है। इसमें स्थानीय ऊन का प्रयोग और विशिष्ट पारंपरिक डिज़ाइन होते हैं। यह वस्त्र न केवल शीतकालीन परिधान के रूप में प्रयुक्त होता है, बल्कि विवाह व धार्मिक आयोजनों में उपहार स्वरूप भी प्रस्तुत किया जाता है। आज यह कला तेजी से विलुप्त हो रही है और कारीगरों की संख्या में भारी गिरावट देखी जा रही है।

डांगरा – वीरता व सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक
‘डांगरा’ एक पारंपरिक हथियार है जो न केवल आत्मरक्षा और शिकार के लिए उपयोग होता था, बल्कि धार्मिक व सांस्कृतिक आयोजनों में भी इसका विशेष महत्व है। यह धातु से बना हुआ संतुलित व कलात्मक हथियार, हाटी समुदाय की वीरता और पारंपरिक चेतना का प्रतीक माना जाता है।

GI टैग की आवश्यकता
हाटी विकास मंच का मानना है कि इन दोनों सांस्कृतिक वस्तुओं को GI टैग मिलने से न केवल इनकी विशिष्टता को आधिकारिक मान्यता मिलेगी, बल्कि यह हाटी समुदाय के कारीगरों को आर्थिक प्रोत्साहन भी प्रदान करेगा। इसके साथ ही आने वाली पीढ़ियाँ भी अपनी जड़ों से जुड़ सकेंगी और राज्य की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक पहचान मिलेगी।प्रदीप सिंह सिंगटा, अध्यक्ष – हाटी विकास मंच हिमाचल प्रदेश ने कहा:
“हमारा उद्देश्य केवल सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण नहीं, बल्कि उन्हें वैश्विक मंच पर पहचान दिलाना है। सिरमौरी लोइयां और डांगरा हाटी समुदाय की आत्मा हैं, और इन्हें GI टैग दिलाना हमारी जिम्मेदारी है।”

एडवोकेट वी. एन. भारद्वाज, प्रदेश कोषाध्यक्ष – मंच ने कहा:
“यह पहल न केवल सांस्कृतिक संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कारीगरों को भी नया जीवन प्रदान करेगी।”

हाटी विकास मंच द्वारा यह कदम राज्य में सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है, जिसकी सराहना जनजातीय क्षेत्रों सहित राज्य के विविध सांस्कृतिक संगठनों द्वारा की जा रही है।
इस मौके पर मंच के महासचिव डॉक्टर अनिल भारद्वाज, अतर तोमर, मोहन शर्मा, सतपाल चौहान, वीरेंद्र शर्मा, सुरेंद्रा ठाकुर, एडवोकेट रोहन तोमर आदि हाटी विकास मंच के पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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